लेखिका का संक्षिप्त परिचय:
रिंकू ताई ने इलेक्ट्रिकल
इंजीनियरिंग किया है| विवाह उपरांत कुछ समय तक एक कंपनी में कार्यरत थी परन्तु
परिवार का दायित्व संभालना प्रथम कर्तव्य जान कर रिंकू ताई ने नौकरी छोड़ दी| उसके
पश्चात् पती जो एक जानेमाने अधिवक्ता हैं उन्ही के कार्य में जुड़ गयी और उनकी
सहायता करते करते जीवन के कई आयामों का अभ्यास भी करती रही|
कल्पना का कार्य – कथा
लेखन तब से करना था जब स्कूल में पढ़ती थी परन्तु उचित धैर्य न होने के कारण कभी
लिख नहीं पायी| विवाह के बारह वर्ष होने के बाद लेखिका ने खुद विधिशास्त्र में
डिग्री ली और अभी वकिली के साथ एल.एल.एम्. भी कर रही हैं|
अस्वीकरण
यह कहानी लेखिका के
कल्पना का कार्य हैं| इस कहानी का सम्बन्ध किसी भी व्यक्ति, जीवित या मृत, किसी भी
धर्म अथवा जाती, तथा किसी घटना से कदापि नहीं हैं| यदि ऐसा प्रतीत हुआ तो वह केवल
सहयोग मात्र हैं|
वैधानिक सूचना
यह कहानी भय दायक हैं
तथा कमजोर ह्रदय के लोग इसे न पढ़े|
कथा का सार:
यह कथा एक सौ साल से भी
ज्यादा समय भटकती हुई आत्मा की हैं| इस आत्मा के मनुष्य शरीर का जब अंत हुआ था तब
वह गर्भवती थी और उसके गर्भ में जुड़वाँ बच्चे थे| वह अपने गर्भस्थ जुड़वाँ बच्चों
की मुक्ति के लिए एक ऐसी गर्भवती लड़की पर कब्ज़ा करती हैं जिसके भी जुड़वाँ बच्चे
होने वाले होते हैं| जिस लड़की पर वो अपना कब्ज़ा जमाती हैं, वो कुँवारी होती हैं और
उसे अपने प्रेमी पर पूरा भरोसा होता हैं की वो उसका साथ कभी नहीं छोड़ेंगा|
उस लड़की के माध्यम से
भटकती आत्मा अपनी आपबीती उस लड़की को भी बताती हैं और दुनिया के सामने भी रखती हैं|
भटकती आत्मा की आपबीती और उस लड़की का वर्तमान समय दोनों की कहानी आप इस कथा के रूप
में पढ़ सकते हैं|
निचे इस कथा के सभी भाग की अनुसूची दी हुई हैं| आप जो भी भाग पढना चाहते हो उसे क्लिक करिए और पढ़िए|
पात्र परिचय:
पागलपन:
करिश्मा:
सीमा ही क्यों?
जय विजय
अरमान:
बचपन के दिन:
विवाह:
देवदर्शन यात्रा:
पीड़ादायक समय
पिशाच लोक की व्यथा
काली करतूतों का पर्दाफाश:
ख़त
पिशाचलोक के दर्शन
चिथड़े वाली पिशाचिनी
मुक्ति
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