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Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: विवाह: भाग ७

        


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आगे विमुक्ति ने कहा, “शामको सब लोग अपने-अपने घर चले गए| पर मेरी नानी वही रुकी रही| दादी और नानी ने मुझे बुलाया| हम तीनो ही थे| नानी ने कहा, ‘बार-बार पूछती थी न वो कौन से काम हैं जो सिर्फ एक लड़की ही कर सकती हैं? ले अब आज सुन ले, संतान की उत्पत्ति का कार्य केवल एक कन्या ही कर सकती हैं| नवजात शिशु का लालन-पोषण भी वही कर सकती हैं| ये काम कोई पुरुष नहीं कर सकता|’ और फिर उन्होंने मुझे विवाहसंस्था का ज्ञान दिया|”

किरण ने पूछा, “फिर क्या आपका विवाह होना था?”

विमुक्ति ने शरमाते हुए कहा, “हा| अगले दिन से माँ मेरा उबटन करने लगी हर रोज| पंद्रह दिन बाद कालिताई जो मेरे लिए गुरुवत थी अपने वचन के अनुसार अपने पुरे परिवार के साथ बारात लेकर आ गयी थी| मेरा विवाह मेघश्याम के साथ हो गया| मैं अपने पति के साथ अपने ससुराल अनंथवूर चली गयी|”


लेखिका: रिंकू ताई

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