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आगे विमुक्ति ने कहा,
“शामको सब लोग अपने-अपने घर चले गए| पर मेरी नानी वही रुकी रही| दादी और नानी ने
मुझे बुलाया| हम तीनो ही थे| नानी ने कहा, ‘बार-बार पूछती थी न वो कौन से काम हैं
जो सिर्फ एक लड़की ही कर सकती हैं? ले अब आज सुन ले, संतान की उत्पत्ति का कार्य
केवल एक कन्या ही कर सकती हैं| नवजात शिशु का लालन-पोषण भी वही कर सकती हैं| ये
काम कोई पुरुष नहीं कर सकता|’ और फिर उन्होंने मुझे विवाहसंस्था का ज्ञान दिया|”
किरण ने पूछा, “फिर क्या
आपका विवाह होना था?”
विमुक्ति ने शरमाते हुए
कहा, “हा| अगले दिन से माँ मेरा उबटन करने लगी हर रोज| पंद्रह दिन बाद कालिताई जो
मेरे लिए गुरुवत थी अपने वचन के अनुसार अपने पुरे परिवार के साथ बारात लेकर आ गयी
थी| मेरा विवाह मेघश्याम के साथ हो गया| मैं अपने पति के साथ अपने ससुराल अनंथवूर
चली गयी|”
लेखिका: रिंकू ताई
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