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रोमांचित हो आमुक्ति ने
कहा, “१९२० के आसपास का समय था| आज के ज़माने में लोग बहुत घुमते हैं पर कितने लोग
हैं जो घर से पूजन के लिए कम से कम हल्दी, कुमकुम और अक्षद लेकर निकलते हैं? उस
ज़माने में लोग पैदल यात्रा कर घर लौट आते थे और आज के ज़माने में सभी सुविधाए हैं,
पर आप घरपर सही सलामत पोहोचेंगे या नहीं इसपर आपको शंका रहती हैं और उसका कारण हैं
आज की पीढ़ी यात्रा करते समय हर स्थानकी स्थानदेवता की पूजा नहीं करती| उनका मन
पूरी यात्रा में अशांत ही होता हैं| इसीलिए किसी यात्रा की स्मृतियाँ भी सही से
नहीं होती| तो ऐसे यात्रा करते-करते हम दोनों सबरीमाला मंदिर पोहोचे, भगवान कार्तिकेय
के दर्शन के लिए|”
उर्मिला ने हट्कते हुए
पूछा, “अरे उस मंदिर में तो स्त्रियों का जाना वर्जित था न उस ज़माने में?”
लेखिका: रिंकू ताई
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