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फिर एक दिन सुलेमान ने
उसे अकेले ही अपने साथ कमरे में बंद कर लिया| सुलेमान की आखों में दरिंदगी साफ़ नजर
आ रही थी| उसने उषा की इज्जत लुट ली| उषा को जिन्दा रहने की इच्छा नहीं बची| पर वो
ये भी जान गयी थी की ये सारे बोम्ब्स किसी बड़े धमाके के लिए बनाये जा रहे हैं|
उसने बारूद के कमरे में खुद को बंद कर दिया और आग लगा दी| बड़ा सा धमाका हुआ और
उसके चिथड़े उड़ गए|
धमाका इतना बड़ा था की
मामले की जांच सीनियर ऑफिसर को करने के लिए दी गयी| सुलेमान के आतंकी इरादे पता
चलने के बाद सुलेमान पकड़ा गया और उसे जेल हो गयी| पर उषा अब पिशाचलोक की वासी हो
गई थी| क्यों की ये किसी को भी नहीं पता की उस कमरे में उषा ने आग लगायी थी| इतने
बड़े धमाके और आग में उसके शरीर का एक टुकड़ा भी नहीं मिला|
लेखिका: रिंकू ताई
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