कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
उर्मिला हसते हुए बोली,
“अरे बस-बस इतने सवाल! सब बताउंगी| पहले नाश्ता तो कर ले|”
फिर किरण सीमा के लिए
गरमा-गरम नाश्ता लेकर आई| सीमा को नाश्ता देते हुई बोली, “बेटा मैं किरण, तुम्हारी
दूर की मौसी| तुम मेरी कोठी पर हो| तुम एर्नाद में बेहोश हो गयी थी तो डॉक्टरी
सलाह पर तुम्हे कुछ दिनों के लिए ऑफिस से छुट्टी दिलवाकर यहाँ लाया गया हैं|
तुम्हारे आराम के लिए| अब आराम से नाश्ता कर लो|”
सीमा अभीभी उलझन में थी
और उसने पूछा, “मैं बेहोश हो गयी थी! कैसे?”
नागनाथ ने थोडा कठोर
होते हुए पूछा, “ये तो तुम बताओ सीमा, की तुम बेहोश क्यों हुई?”
उर्मिला ने नागनाथ को
रोका और कहा, “बेटा पहले नाश्ता कर लो फिर बाकी बाते बाद में करेंगे| आप भी न बिना
मतलब के बच्ची को डरा रहे हो|”
सीमा ने शांति से नाश्ता
किया|
लेखिका: रिंकू ताई
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