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बस इतना कह कर, नागनाथ
जोर-जोर से रोने लगा| थोड़ी देर रोकर अपना दुःख जताते हुए उसने कहा, “मेरी बेटी ने
कभी किसी से नफ़रत नहीं की| वो हर किसी से दोस्ती करती थी| पर आज देखो उसके साथ
क्या हो गया हैं? जब वो ठीक थी तब उसके साथ करिश्मा थी| पर वो अब फ़ोन भी नहीं उठा
रही| मेरी बेटी ने किसीका कभी बुरा नहीं चाहा| पर उसके साथ ये कैसे हो गया? भगवान
भी उसकी परीक्षा क्यों ले रहे हैं? अगर उस पिशाचिनी को किसीके जरिये अपनी बात रखनी
ही थी, तो उसने मेरी बेटी को ही क्यों चुना? उसने उस करिश्मा के जरिये अपनी बात
क्यों नहीं कही?”
कई सवालों के साथ
उर्मिला भी रोने लगी| किरण दोनों की हालत देखकर कुछ सोचने लगी थी|
लेखिका: रिंकू ताई
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