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बाहर खड़े रहकर चुपचाप
सारी बाते सुनने वाले नागनाथ ने अब अपनी चुप्पी तोड़ी और कमरे में आते हुए कहा, “वो
करिश्मा कोई तुम्हारी सहेली नहीं थी, और न ही अरमान तुमसे मिलने अस्पताल आया था|
अगर तुम्हारी चिंता रहती, तो दोनों तुम्हारे साथ रहते| न की अरमान किसी वकेशन पर
गया हुआ होता| मैं जब तुम्हारे बैंक गया तब अरमान वहा पर नहीं था| बक्षी सर थे
जिन्होंने तुम्हारी दिमागी हालत देखते हुए तुम्हारा रेसिग्नेशन एक्सेप्ट किया|
अरमान भले ही तुम्हारा बॉस होंगा, पर करिश्मा को कोई नहीं जनता, और न ही करिश्मा
का फ़ोन अभी लग रहा हैं|”
ये सुन सीमा भ्रम और
दुःख में डूबने लगी|
फिर उर्मिला ने बताया,
“तुम जब होश में आई, तब तुम मल्यालम में बड़बड़ा रही थी| फिर तुम्हारा साइकोलॉजिकल
टेस्ट हुआ, जिसमे डॉक्टर ने तुम्हे पागल करार दे दिया| उसके बाद हम लोग तुम्हे
यहाँ ले आये| अगर तुमसे उस अरमान को प्यार होता तो वो तुमसे मिलने अस्पताल नहीं
आता? हम लोगों की मदत नहीं करता?”
लेखिका: रिंकू ताई
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