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आज भी उषा के माँता-पिता
ये सोचते हैं की उषा कही भाग गयी हैं| अरमान को इस बात का कोई दुःख नहीं हैं, की
उषा कही मिल नहीं रही वो तो यही कह रहा हैं “अच्छा हो गया खुद से कही भाग गयी|
नहीं तो उसे गायब करने के लिए मुझे पापड़ बेलने पड़ते|”
अरमान का ये ऐसा बर्ताव
देख कर सीमा परेशान हो गयी और रोने लगी| आमुक्ति ने उसे जगाया और पूछा, “क्या
हुआ?”
सीमा ने कहा, “कुछ समझ
नहीं आ रहा| अरमान इतना दुष्ट होगा ये मुझे नहीं लगा था|”
उस दिन के बाद से सीमा
चुप-चुप रहने लगी थी| उसे जीवन नीरस लग रहा था| कई बार उसके मन में अरमान को मारने
की इच्छा जगी पर वो कुछ नहीं कर सकती थी| ऐसे करते-करते उसके प्रसव के दिन नजदीक
आने लगे थे|
लेखिका: रिंकू ताई
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