Followers

Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: बचपन के दिन: भाग ५

       


कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|


आमुक्ति ने कहा, “अंग्रेजी शासन में जो भी लोग पढाई के लिए पैसा नहीं देते थे, उन्हें पढने नहीं दिया जाता था| और जो लोग पैसा देते थे, वो फिर चाहे जो भी जाती के हो उन्हें मंदिर, पाठशाला, सार्वजनिक कुए सब स्थानों पर जाने दिया जाता था| इसीलिए पैसों की तंगी के कारण, मैं या मेरी बहने कभी पाठशाला या गुरुकुल नहीं गए| पर मेरे जो भाई पाठशाला जाते थे वो हमें घर आकर जो उन्होंने सिखा वो सब पढ़ाते थे| और घर में दादी सब सिखाती थी|”

नागनाथ ने पूछा, “क्या आपके दादा-दादी पढ़े लिखे थे?”

आमुक्ति ने हसकर कहा, “अगर आप आंग्ल भाषा में की हुई पढाई को, पढाई मानते हैं तो फिर मैं भी आपके लिए अनपढ़ हु| पर मेरी दादी को मल्यालम और संस्कृत दोनों आती थी| गुरुकुल से पढ़ी थी|” 


लेखिका: रिंकू ताई

कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|


 

No comments:

Post a Comment

अग्नि तापलिया काया चि होमे

अग्नि तापलिया काया चि होमे । तापत्रयें संतप्त होती । संचित क्रियमाण प्रारब्ध तेथें । न चुके संसारस्थिति । राहाटघटिका जैसी फिरतां...