कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
आमुक्ति ने कहा,
“अंग्रेजी शासन में जो भी लोग पढाई के लिए पैसा नहीं देते थे, उन्हें पढने नहीं
दिया जाता था| और जो लोग पैसा देते थे, वो फिर चाहे जो भी जाती के हो उन्हें
मंदिर, पाठशाला, सार्वजनिक कुए सब स्थानों पर जाने दिया जाता था| इसीलिए पैसों की
तंगी के कारण, मैं या मेरी बहने कभी पाठशाला या गुरुकुल नहीं गए| पर मेरे जो भाई
पाठशाला जाते थे वो हमें घर आकर जो उन्होंने सिखा वो सब पढ़ाते थे| और घर में दादी
सब सिखाती थी|”
नागनाथ ने पूछा, “क्या
आपके दादा-दादी पढ़े लिखे थे?”
आमुक्ति ने हसकर कहा,
“अगर आप आंग्ल भाषा में की हुई पढाई को, पढाई मानते हैं तो फिर मैं भी आपके लिए
अनपढ़ हु| पर मेरी दादी को मल्यालम और संस्कृत दोनों आती थी| गुरुकुल से पढ़ी थी|”
लेखिका: रिंकू ताई
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