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Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: विवाह: भाग ५

        


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आमुक्ति ने कहा, “हा, ये जगह-जगह लगने वाले मेले न केवल अध्यात्मिक उन्नति के लिए होते थे बल्कि समाज में एकता का प्रचार करने के लिए भी होते थे और जाती-पाती के भेद से परे होकर रिश्ते तय होते थे| और ऐसा नहीं था की उची-जाती की लड़की नीची-जाती के लड़के से विवाह नहीं कर सकती थी| अगर नीची-जाती के लड़के में उतने संस्कार हैं जितने जीवन को उचित तरीके से जीने के लिए जरुरी हैं, तो ऐसे भी विवाह होते थे| मेरा विवाह तय हो गया और बात यह भी तय हुई की जब उचित समय आएगा तब मेरा विवाह मेघश्याम से हो जायेगा| उस मेले में मेरी बड़ी बहन का भी विवाह तय हुआ और मेरे बड़े भाई का भी| मेला खत्म हुआ और फिर तब से मुझे दादी और माँ ने माहवारी के लक्षणों से अवगत करा दिया| समय रहते बड़ी बहन का भी विवाह हो गया और एक भाभी भी घर पर आ गयी| और मेरे पंद्रहवे जन्मदिन के दो दिन बाद मुझे भी माहवारी आ ही गयी|”


लेखिका: रिंकू ताई

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