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सीमा ये सुनकर डर गयी थी
पर उसे देखना था पिशाचलोक में क्या हो रहा हैं? फिर आमुक्ति ने उसके भृकुटी पर
अंगूठा रख उसे पिशाचलोक दिखाया| सीमा न जाने कितनी ही गर्भवती पिशाचिनियाँ देखी जो
अपने होने वाले शिशु की मुक्ति के लिए उपाय ढूंढ रही थी, न जाने कितनी ऐसी लडकिया
देखी जिनके बेरहमी से टुकड़े हुए थे| दर्दभरी हत्या हुए न जाने कितने आदमी देखे
जिनका गुनाहगार उस दरिंदगी भरी सोच का गुलाम हैं| सभी मुक्ति के लिए त्राहिमाम-त्राहिमाम
कर रहे थे| कुछ पूजा-पाती करने वाले थे, तो कुछ पेड़ पौधों की सेवा करने वाले थे,
तो कई लडकियाँ अपने माँ-बाप को दुखी कर दरिंदो के साथ खुद ही चली गयी थी| सब मुक्त
होना चाहते थे| उनकी पीड़ा देख सीमा रोने लगी|
वही उन्ही पिशाचों में
एक लड़की थी जिसके चिथड़े उड़े हुए थे| सीमा उसके बारे में जानना चाहती थी|
लेखिका: रिंकू ताई
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