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अट्टहास करती हुई आमुक्ति
बोली, “हमारा जमाना अच्छा था| लोगों में शर्म भी थी| पर घर की महिलाए आपस में इस
विषय पर बात करती थी| इसीलिए न कभी माहवारी में पीड़ा होती थी, न कभी गर्भावस्था
में तकलीफ और प्रसव भी सरलता से हो जाता था; क्यों की पीड़ा का इलाज मिल जाता था|
किसी से कोई बात नहीं छिपती थी और हम लडकियों को ये भी बताया जाता था की आदमियों
से कितनी दुरी बनाकर बात करना|”
आमुक्ति की बात बिलकुल
किसी दादीजी की तीखी टिपण्णी की तरह उर्मिला और नागनाथ के ह्रदय में चुभ गयी|
फिर अमुक्ति ने डरावने
स्वर में जोर से कहा, “ये पेट से हैं इस बारे में करिश्मा को पता था| पर मैंने ही
उससे उस डाक्टरी रिपोर्ट को फाइल में से निकलवाया; क्यों की अगर सीमा के बच्चे
गिरा दिए जाते तो मैं फिर इस पिशाच योनी में भटकने लगती| फिर न जाने कब मेरे और
मेरे होने वाले बच्चो की मुक्ति का साधन हो पता| अब तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं हो
तो खुद जांच कर लो| पर याद रखना इसके बच्चे मत गिराना|”
इतना कहने के बाद आमुक्ति
नाम की उस शक्तिशाली पिशाचिनी ने लाल रंग की आखे चमकाई| ये देख तीनो डर गए|
लेखिका: रिंकू ताई
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