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अपनी सिसकियों को रोकते
हुए आमुक्ति ने कहा, “हा| उस समय पुरे केरल में हिंसा का माहौल था| कुछ दरिन्दे जो
कभी स्नान करते नहीं थे, सदैव गन्दी बदबू उनसे आती थी, उनके मुह को खून लगा रहता
था वे पुरे केरल में हाहाकार मचा रहे थे| वे लोग पुरुषों को मार देते थे|
स्त्रियों पर जब तक वो मर नहीं जाती तबतक लैगिक अत्यचार करते थे| जैसे ही हमने गाव
छोड़ा कुछ दरिन्दे मेरे गाव में हिंसा की भावना से एक हो गए और उन्होंने मेरे पुरे
ससुराल के लोगों को मार गिराया| उधर कट्टुर में भी हिंसा हुई और कई लोग मारे गए|
इस बात से अनजान मैं, मेघश्याम और देवरजी तीनो अपने रस्ते चलते-चलते एर्नाद
पोहोचे|”
लेखिका: रिंकू ताई
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