Followers

Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: पीड़ादायक समय: भाग ६

    




कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|


अपनी सिसकियों को रोकते हुए आमुक्ति ने कहा, “एर्नाद के बाहर जंगल में ही हम तीनो पर हमला किया गया| हमला करने वालों के हाथों में खून से सनी नंगी तलवारे थी| हमला होते ही मेघश्याम ने बैलगाड़ी तेजी से घने जंगल की और मोड़ दी| हम कैसे-तैसे एक खंडहर मंदिर में पोहोच गए| उस खंडहर मंदिर की आभा प्रसन्न थी, पर न जाने कब से वहा पूजा नहीं हुई थी| मेघश्याम ने वहा पर रहने लायक जगह बना ली थी| और देवरजी आसपास के जंगल में कुछ फल और कंद लाने गए थे| बहुत देर तक वो नहीं आये तो मेघश्याम उन्हें देखने गए| रात्रि बीत गयी दोनों का कोई पता न था| अगली सुबह मुझे भूख लगने पर मैं जंगल में कुछ खाने मिलता हैं क्या ये देखने गयी| पर मुझपर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा जब मैंने टुकड़े-टुकड़े कीये हुए अपने पती और देवर के मृत शरीर देखे| उन दरिंदो ने तडपा-तड़पा कर दोनों को मारा| उनकी हालत देख मेरा भी मर जाने का मन कर रहा था| पर मुझमें पल रही दो नन्हे बालको ने मुझे ये करने से रोक दिया| मैंने दोनों के मृत शरीर के टुकडो को एक जगह किया| और धीरे-धीरे आस-पास की लकडिया जमा की और उनपर जमा दी| पर बरसात ने मुखाग्नि नहीं देने दी| वैसे ही उन्हें वहा छोड़ मैं खंडहर मंदिर में वापस लौट आई| अगली सुबह धुप निकल आई तो मैं वापस उस जगह गयी वहा पर मैंने मेरे दिवंगत पति और देवर को मुखाग्नि दी| और लौट गयी| उस खंडहर मंदिर में मैं एक महीने तक छिपी रही| जो भी मिलता वो कहा लेती| कभी फल, तो कभी कंद, तो कभी कभी सिर्फ पानी के सहारे दिन निकाला|”


लेखिका: रिंकू ताई

कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|

No comments:

Post a Comment

सवेरे उठी काम काम काम….

कभी ना लिया शिव का नाम लिरिक्स कभी ना लिया शिव का नाम, सवेरे उठी काम काम काम, कभी ना लिया हरी नाम, सवेरे उठी काम काम काम..... हमरे द्वारे पे...