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Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: ख़त: भाग ४

     


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अरमान को जितना बैंक की नौकरी कर एक साल में मिलता था उतना वो और उसके दोस्त एक लड़की को विदेश में बेच कर कमा लेते थे| अगर उसदिन तुम बेहोश न भी होती तो भी मैं तुम्हे नहीं मारती क्यों की महीनेभर में तुमसे और हमारे उन बच्चो से मुझे लगाव हो गया था| मैं अरमान को तुमसे शादी करने के लिए मजबूर करती थी| पर अरमान ने कभी किसी से प्यार ही नहीं किया| मुझ से भी नहीं| उसे सिर्फ पैसों से मतलब था|

तुम्हारे दिल में जो सबके लिए प्यार हैं उसके वजह से आज तुम सही सलामत हो| जहा भी रहो खुश रहना| मैं तो अपने गुनाहों की सजा भुगत रही हु पर मुझे इस बात की तस्सल्ली हैं की मैंने तुम्हारे साथ कुछ बुरा नहीं किया|


लेखिका: रिंकू ताई

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