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Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: विवाह: भाग ३

       


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विमुक्ति ने उत्तर दिया, “हा| और मैं उन विदुषी की बात से प्रभावित हो उनके पीछे जाने लगी और मेरे पीछे मेरी माँ भी आई| मैं और माँ जब उन विदुषी से मिले तो माँ ने खुश होकर कहा, ‘अरे कालीताई आप!’ माँ जानती थी उन्हें| फिर माँ ने बताया, ‘आमुक्ति ये कालिताई हैं, मेरी बचपन की सहेली| प्रणाम करो|’ मैंने जमीन पर घुटनों के बल बैठकर प्रणाम किया| फिर उसके बाद मैं अपनी माँ से ज्यादा कालिताई के पास ही रहने लगी| उनके साथ ही मंदिर जाना, भजन करना, उनको भोजन बनाने में मदत करना| मेरी जाती नीची रहने के बाद भी वो मेरे हाथ का भोजन खाती थी|”

तभी उर्मिला जो काफी देर से उनकी बाते सुन रही थी, उसने पूछा, “कालिताई कौन जाती की थी?”


लेखिका: रिंकू ताई

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