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जोर से विलाप करते हुए
आमुक्ति ने आगे कहा, “मुझे गर्भवती हुए पाच महीने के ऊपर हो गए थे| शुभ मुहूर्त
देख मुझे प्रसव के लिए अपने मायके भेजने का प्रबंध हो रहा था| मैं खुद भी जाना
चाहती थी| मेरी यात्रा की तैयारी सासुमा ने बड़ी अच्छे से की| मेरे साथ मेघश्याम और
मेरे देवर चलने वाले थे| मेरे समय में हर यात्रा के पूर्व मुहूर्त निकाला जाता था|
अगस्त महीने के २२ तारीख का मुहूर्त निकला| हम लोग उसदिन जाने के लिए निकले| पर वो
दिन ही मेरे जीवन का मनहूस दिन था| एर्नाद के रस्ते जल्दी पोहोचेंगे इसके लिए बिना
किसी जानकारी के हमने वो रास्ता ले लिया| बैलगाड़ी से ही हम लोग निकले थे घर से|”
किरण ने पूछा, “इसका कोई
सम्बन्ध तुम्हारी मृत्यु से हैं?”
लेखिका: रिंकू ताई
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