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आगे आमुक्ति ने बताया, “उस
ज़माने में देवदर्शन यात्रा नवविवाहित जोड़ी करती थी और यही उनके वैवाहिक जीवन की
नीव बनती थी| पैदल यात्रा में एक दुसरे पर विश्वास बढ़ता था और साथ मिलकर कोई भी
समस्या का समाधान निकालने का अभ्यास भी हो जाता था| यह यात्रा पुरे नियमों के साथ
जिन नवविवाहित जोडियो ने ये यात्रा पूरी की वे जनम-जनम के साथी हैं ऐसा माना जाता
था| और इस यात्रा का अहम् नियम था पति-पत्नी साथ में रहने के बाद भी ब्रम्हचर्य का
पालन| ये सदियों से चलती आयी परम्परा थी| और हमें भी इस परम्परा के अनुसार इस
यात्रा के लिए जाना था|”
लेखिका: रिंकू ताई
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