Followers

Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: देवदर्शन यात्रा: भाग ७

  




कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|


उर्मिला ने कहा, “अरे ऐसा होता था क्या? ये बात तो हमें किसी ने बताई ही नहीं?”

आमुक्ति ने कहा, “मैंने बता दी हैं, अब याद रखना| सौ सालों में, महिलाओं में आपस में चर्चा के विषय ही बदल गए हैं, तो अज्ञानता आनी ही हैं| और पढ़ी लिखी लडकिया तो इस विषय पर बात ही नहीं करना चाहती| उन्हें लगता हैं की ये नियम उनपर अत्याचार करने के लिए बनाये गए हैं| भलेही मैं आजतक कुछ नहीं बोल पायी पर मैंने कई किस्से सुने उसपर से कह रही हु|”

“शबरीमाला में भगवान कार्तिकेय के दर्शन के बाद, हम दोनों आगे कन्याकुमारी तक गए वहा दोनों ने साथ में दर्शन किये| एक महीने से हम दोनों साथ थे| मेघश्याम ने मुझे किसी चीज की कमी नहीं होने दी| हम दोनों का एक दुसरे पर विश्वास हर दिन गहरा हो रहा था| लोग कहते हैं प्रेम वैवाहिक जीवन की नीव हैं, पर मैं कहती हु एक-दूसरे पर अटूट विश्वास ही वैवाहिक जीवन को सुखी कर सकता हैं| और रही बात प्रेम की तो प्रेम की परिभाषा आज के समय पर केवल वासना से हैं, जो सर्वथा अनुचित हैं|”


लेखिका: रिंकू ताई

कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|

No comments:

Post a Comment

अग्नि तापलिया काया चि होमे

अग्नि तापलिया काया चि होमे । तापत्रयें संतप्त होती । संचित क्रियमाण प्रारब्ध तेथें । न चुके संसारस्थिति । राहाटघटिका जैसी फिरतां...