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उर्मिला ने कहा, “अरे
ऐसा होता था क्या? ये बात तो हमें किसी ने बताई ही नहीं?”
आमुक्ति ने कहा, “मैंने
बता दी हैं, अब याद रखना| सौ सालों में, महिलाओं में आपस में चर्चा के विषय ही बदल
गए हैं, तो अज्ञानता आनी ही हैं| और पढ़ी लिखी लडकिया तो इस विषय पर बात ही नहीं
करना चाहती| उन्हें लगता हैं की ये नियम उनपर अत्याचार करने के लिए बनाये गए हैं|
भलेही मैं आजतक कुछ नहीं बोल पायी पर मैंने कई किस्से सुने उसपर से कह रही हु|”
“शबरीमाला में भगवान
कार्तिकेय के दर्शन के बाद, हम दोनों आगे कन्याकुमारी तक गए वहा दोनों ने साथ में
दर्शन किये| एक महीने से हम दोनों साथ थे| मेघश्याम ने मुझे किसी चीज की कमी नहीं
होने दी| हम दोनों का एक दुसरे पर विश्वास हर दिन गहरा हो रहा था| लोग कहते हैं
प्रेम वैवाहिक जीवन की नीव हैं, पर मैं कहती हु एक-दूसरे पर अटूट विश्वास ही
वैवाहिक जीवन को सुखी कर सकता हैं| और रही बात प्रेम की तो प्रेम की परिभाषा आज के
समय पर केवल वासना से हैं, जो सर्वथा अनुचित हैं|”
लेखिका: रिंकू ताई
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