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सीमा की दुविधा देख कर
आमुक्ति उसके सामने प्रकट हो गयी, अपने असली स्वरुप में| बिलकुल कान्तिमयी १६-१७
साल की एक महिला, जिसका छे महीने का गर्भ हैं| आमुक्ति की बड़ी-बड़ी कमल जैसी आखे,
गुलाब की नाजुक पंखुड़ी के जैसे होठ, और कोमल सी कद काठी देखकर सीमा उसे देखती ही
रह गयी|
आमुक्ति ने पूछा, “क्या
सोच रही हो?”
सीमा ने कहा, “बस समझ
नहीं आ रहा किस पर भरोसा रखु – अरमान पर जिसने मुझे प्यार दिया, करिश्मा पर जो अब
जेल में हैं और अब उसने अपना मजहब छोड़ दिया हैं या तुमपर जिसके साथ बड़ी भयावह घटना
हुई हैं?”
लेखिका: रिंकू ताई
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