कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
उर्मिला और नागनाथ को
शांत कर, किरण सीमा के पास गयी| उसने सीमा के चेहरे को ध्यान से देखा| किरण को उस
चेहरे में एक ऐसी पीड़ा नजर आ रही थी, जो किसी माँ के चेहरे पर होती हैं, अपने
बच्चे को खोने के बाद|
किरण ने गरुड़ पुराण से
कुछ मन्त्र पढ़े और सीमा को शांत होने के लिए कहा| सीमा सुबकते हुए चुपचाप बैठी
रही|
फिर किरण ने पूछा, “कौन
हो तुम?”
सीमा ने मल्यालम में
कहा, “എന്റെ പേര് അമുക്തി”
किरण को मल्यालम नहीं
समझ रही थी|
तब किरण ने थोडा जोर
देकर कहा, “मैं जानती हु, तुम्हे मेरी बोली बात समझ रही हैं| मैं कोई तुम्हारी
दुश्मन नहीं हु| ये भी जानती हु की, तुम कुछ कहना चाहती हो| पर क्या? ये मैं नहीं
समझ सकती क्यों की तुम मल्यालम में कह रही हो| मुझे मल्यालम नहीं आती| इसीलिए
हिंदी में कहो| तभी मैं कुछ कर सकुंगी|”
लेखिका: रिंकू ताई
कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
No comments:
Post a Comment