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पूरी जांच के बाद सीमा
का इलाज शुरू हो गया था| जो भी दवाइयाँ दी जा रही थी उसका असर हो रहा था| उसे
शामतक होश भी आ गया था| उसे होश में आते देख उर्मिला को चैन मिला| उसने तुरंत
डॉक्टर को बुलाया| डॉक्टर ने आकर देखा और कहा, “पेशंट अब खतरे के बाहर हैं|” ये
सुनकर चिंता में दुबे नागनाथ को भी थोड़ी उम्मीद जगी|
पर जो सीमा जागी
वो अलग थी| वो घडी में रो रही थी घडी में पीड़ा में चीख रही थी|
वह मल्यालम में
बड़बड़ा रही थी, “ഞങ്ങൾ നിന്നോട് എന്ത് ചെയ്തു. ദൈവത്തെപ്രതി നമുക്ക് പോകാം. എന്നെ കൊല്ലരുത്.”
वो फिर जोर जोर
से चिल्लाने लगी, “എന്റെ വയറു കടിക്കരുത്. ഇല്ല! ഇല്ല! ഈ ഗർഭസ്ഥ ശിശുക്കൾ നിങ്ങൾക്ക് എന്ത് ദോഷമാണ് ചെയ്തത്?”
सीमा का ये हाल देखकर
उर्मिला घबरा गयी और जोर-जोर से रोने लगी| नागनाथ ने उसे शांत करने की कोशिश की|
पर जवान बेटी को ऐसी हालत में देखकर नागनाथ भी कही अन्दर से टूट गया था|
डॉक्टरी सलाह पर
साइकोलोजिस्ट को बुलाया गया| पूरी साइकोलॉजिकल जाँच होने के बाद यह बात सामने आई
की सीमा पागल हो गयी हैं|
ये सुन उर्मिला ने रोना
शुरू कर दिया और जवान बेटी का पागलपन देख कर नागनाथ की तो हिम्मत ही टूट गयी थी|
पर थोड़ी देर में उन्होंने अपने आप को संभाला और सीमा को वापस दुर्ग लेकर जाने के
फैसला किया|
लेखिका: रिंकू ताई
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