कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
फिर किरण ने पूछा,
“दोनों तो मर गए हैं तो फिर अब क्या करना हैं?”
आमुक्ति ने कहा, “पुरे
रीतिरिवाजों के साथ दोनों का अंतिम संस्कार करो| दोनों का पिंड दान करो| दोनों
मुक्त हो जायेगे|”
उर्मिला ने पूछा, “फिर
आपकी इस पिशाचयोनी से मुक्ति क्या सीमा के मरने से होंगी?”
आमुक्ति ने कहा, “नहीं|
सीमा को मरने जरुरत नहीं हैं मुझे मुक्त कराने के लिए| मुझे अभी भी मेरे कुछ कर्म
भुगतने हैं| जिसके लिए नए से मेरी यात्रा अब आरम्भ होगी| और डरो मत अब मैं सीमा को
छोड़ दूंगी| इसके बाद उसे कैसे रहना हैं ये समझ में आ गया हैं| उसे अपने मरे हुए
बच्चो का दुःख जरुर होगा पर इसके आगे उसका भविष्य उज्वल हैं|”
लेखिका: रिंकू ताई
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