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आमुक्ति के कहने के
हिसाब से दोनों बच्चों का अंतिम संस्कार पुरे रीतिरिवाजों के साथ किया गया| दोनों
के नाम का पिंडदान भी किया गया| सीमा ने भी दोनों की सद्गति के लिए अपना दुःख भुला
दिया|
सीमा को आमुक्ति ने छोड़
दिया और वो अपने गंतव्य की तरफ चलने लगी| जाने के पहले उसने एक बात कही, “दर्दनाक
हत्या से कई लोग मरते हैं पर हम एक ही वंश के लोग हैं – मनुष्य वंश के| और न जाने
किस जनम में हमारा आपस में सम्बन्ध रहा होगा| उसी भूले हुए सम्बन्ध का वास्ता देकर
कहती हु की पिशाचयोनी से कई आत्माए मुक्त होना चाहती हैं| जरुरत हैं तो बस एखाद
हनुमान चालीसा या भगवद्गीत के कुछ श्लोक प्रति दिन केवल पिशाचों को समर्पित कर
पढ़ने की| आपकी एक प्रार्थना हमें मुक्त होने का बल देती हैं|”
लेखिका: रिंकू ताई
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