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दोपहर के खाने में किरण
ने सब्जी रोटी का साधा भोजन बनाया| आमुक्ति ने वह भी शांति से खाया| खाना होने के
बाद किरण और आमुक्ति कोठी के बरामदे में बैठी थी| किरण उसे खबरे पढ़कर सुना रही थी|
एक खबर पुष्कर मेले की थी| वह खबर सुन आमुक्ति के चेहरे पर गुलाबी रंग छा गया| ये
देख किरण ने पूछा, “क्या हुआ?”
आमुक्ति ने कहा, “मैं ग्यारह
साल की रही होगी, तब अयालुर में भगवान शिव का मेला लगा था| मैं भी अपने परिवार के
साथ, मेरे गाव कट्टुर से, उस मेले में गयी थी| मेरी बड़ी बहन भी थी मेरे साथ थी|
वहा हम लोग धर्मशाला में रुके थे| उस धर्मशाला में कई जगहसे अलग-अलग लोग आये थे|
सब शिव भक्त थे| हम लोग पुरे पंद्रह दिन के लिए वहा गए थे|”
लेखिका: रिंकू ताई
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