कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
उषा गरीब घर से थी| जॉब
करना चाहती थी, अपने कॉलेज की फीस और घरखर्च के लिए थोडा सहारा देने के लिए| अरमान
की कई जगह पहचान थी| तो अरमान ने उसे एक डाटा एंट्री फर्म में काम पर लगा दिया था|
दिनभर काम करके शामको उषा अरमान के साथ ही अपने घर जाती थी| अरमान उसे उसके कॉलोनी
के बाहर तक ही लिफ्ट देता था, ये कहकर की लोग चार बाते करेंगे और उषा की ही बदनामी
होंगी| उषा भी मान जाती थी|
एक दिन उषा की बहोत सारे
रुपयों की जरुरत आन पड़ी, क्यों की उसके भाई का एक्सीडेंट हो गया था| उसने अरमान से
मदत मांगी| तो अरमान ने उसे किसी सुलेमान के पास भेजा| सुलेमान दिखने में एकदम
गुंडा था और असल में भी गुंडा ही था| सुलेमान ने उसे दस लाख रुपये रोकड़ा दे दिए और
कहा, “और भी जरुरत पड़ी तो मिल जायेंगे|” उषा ख़ुशी ख़ुशी अस्पताल आई और अच्छे से
अपने भाई का इलाज करवाया|
लेखिका: रिंकू ताई
कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
No comments:
Post a Comment