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आमुक्ति ने आगे कहा,
“दुःख की बात पता हैं किरण, मेरे जैसी कई गर्भवती महिलाओं को उस समय इन दरिंदो ने
मार गिराया| मैं सबके दुःख सुनती, फिर कभी इस मनुष्य लोक की बाते भी सुनती| और जब
आज की तारीख में कोई श्रद्धा, कोई साक्षी, पिशाच लोक में आती हैं जिसके जख्म अभीभी
हरे हैं और मरते समय बड़ा दर्द सहना पड़ा तो कभी-कभी मन में सवाल आता हैं, इन दरिंदो
की दरिंदगी का सामना हमने बिना किसी लालच के हमारे धर्म के लिए किया, पर आज की
लडकियों को इस बात की कोई जानकारी ही नहीं हैं| आँखे बंद कर ऐसे किसी भी लड़के पर
भरोसा करती हैं और फिर मारी जाती हैं|”
लेखिका: रिंकू ताई
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