कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
नौवा महिना लगते ही सीमा
को दर्द होने लगा| उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेजाया गया|
नौ महीने पूरी तरह
डिप्रेशन और स्ट्रेस में रहने के बाद, सीमा में अब ताकद नहीं थी की वो नार्मल
डिलीवरी कर सके| सी-सेक्शन से सीमा की डिलीवरी हुई| पर दोनों बच्चे मरे हुए थे| ये
देख सीमा बहोत दुखी हुई| किरण ने इसका कारण आमुक्ति को पूछा|
आमुक्ति ने उत्तेर दिया,
“ये बच्चे तो मरने ही वाले थे क्यों की जब सीमा बेहोश थी तब उसे होश में लाने के
लिए जो ट्रीटमेंट दी गयी वो उसकी प्रेगनेंसी को ध्यान में रख कर नहीं दी गयी थी|”
लेखिका: रिंकू ताई
कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
No comments:
Post a Comment