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यादों के गर्त से बाहर
आकर सीमा ने ख़त पढ़ना शुरू किया|
प्यारी सीमा,
सच कहू तो तुम्हे प्यारी
कहने का मेरा कोई अधिकार नहीं हैं| पर तुमने जो बर्ताव उस एक महीने में मेरे साथ
किया उसकी वजह से मैं तुम्हारी जिंदगीभर कर्जदार रहूंगी|
शादी के इतने साल हो गए
थे, पर मुझे एक भी बच्चा नहीं हुआ था इसीलिए मेरी सास हमेशा मुझसे चिढती थी| मेरी
माँ भी मेरी बात समझने को तैयार नहीं थी| जब अरमान मुझे समय और प्यार ही नहीं देता
था, तो मैं बच्चा कहा से पैदा करू| फिर तुम आई| तुम्हे मुझसे कोई दिक्कत नहीं थी|
तुम मुझे अपने पेट पर हाथ घुमाने देती और कहती, “इसमें से एक मेरा और एक
तुम्हारा|” तुम्हारे इस बड़प्पन के सामने अरमान और मैं इतने छोटे हैं की कही दिखेंगे
ही नहीं|
लेखिका: रिंकू ताई
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