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Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: ख़त: भाग १

    


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यादों के गर्त से बाहर आकर सीमा ने ख़त पढ़ना शुरू किया|

प्यारी सीमा,

सच कहू तो तुम्हे प्यारी कहने का मेरा कोई अधिकार नहीं हैं| पर तुमने जो बर्ताव उस एक महीने में मेरे साथ किया उसकी वजह से मैं तुम्हारी जिंदगीभर कर्जदार रहूंगी|

शादी के इतने साल हो गए थे, पर मुझे एक भी बच्चा नहीं हुआ था इसीलिए मेरी सास हमेशा मुझसे चिढती थी| मेरी माँ भी मेरी बात समझने को तैयार नहीं थी| जब अरमान मुझे समय और प्यार ही नहीं देता था, तो मैं बच्चा कहा से पैदा करू| फिर तुम आई| तुम्हे मुझसे कोई दिक्कत नहीं थी| तुम मुझे अपने पेट पर हाथ घुमाने देती और कहती, “इसमें से एक मेरा और एक तुम्हारा|” तुम्हारे इस बड़प्पन के सामने अरमान और मैं इतने छोटे हैं की कही दिखेंगे ही नहीं|


लेखिका: रिंकू ताई

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