कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
किरण ने कहा, “ये बात तो
सच हैं| आजकल लडकियों को कुछ नहीं कह सकते| अच्छे-बुरे की समझ अब लोगों में रही ही
नहीं हैं|”
आमुक्ति ने आगे कहा,
“मेरे साथ जो हुआ वो तो जाहिर सी बात हैं की मैंने उन दरिंदो की विचारधारा का खुल
कर विरोध करती थी| पर आज जिन लडकियों के साथ ये हो रहा हैं वो तो उस विचारधारा का
समर्थन करती हैं न फिर भी क्यों दर्दभरी मौत मरती हैं? और फिर क्यों भटकती हैं?”
किरण के मन में भी यही
प्रश्न उठने लगे की आखिर कार ऐसा क्यों होता हैं?
आमुक्ति ने उतर दिया,
“बदले की भावना में ये लोग एक दर्दनाक मौत लडकियों के देते हैं| और मरते समय जो
दुःख दर्द पीड़ा उस लड़की की आत्मा को भुगतनी पड़ती हैं उसका कोई गणित नहीं हैं| और
आज के ज़माने, मेरे ज़माने और पुराने ज़माने में भी ऐसे दरिन्दे हुए हैं, जो ऐसे
भयावह कर्म करते आये हैं|”
लेखिका: रिंकू ताई
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