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किरण ने आमुक्ति से कहा,
“मैं जानती हु, तुम नहीं चाहती इस घर से दूर जाना| पर ये भी तो देखो, समाज में
कैसी-कैसी बाते हो रही हैं| लोग न तुम्हारी पीड़ा को समझेंगे और न ही सीमा की और जय
विजय जो पेट में पल रहे हैं उनकी हमेशा बेइज्जती होती रहेगी| यहाँ से कुछ दूर ही
धनोरा गाव हैं वहा चल सकती हो?”
किरण की बात आमुक्ति को
जरा भी पसंद न आई, पर जय विजय का वास्ता सुन आमुक्ति मान गयी|
सभी लोग किरण की कोठी
में रहने के लिए आ गए| पर किरण की कोठी में तंत्र साधना का पूरा प्रबंध था, तो
आमुक्ति के लिए यह चिंता का विषय हो गया था|
आमुक्ति सोचने लगी, “कही किरण मुझे कैद तो नहीं कर लेगी? कही मेरे जय विजय हमेशा के लिए इस नरक योनी में तो नहीं रह जायेंगे? इस किरण का कुछ करना ही पड़ेगा नहीं तो सब ख़त्म हो जायेगा|”
लेखिका: रिंकू ताई
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