कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
किरण ने आगे पूछा, “उसके
साथ कौन था पुरे दिन? और आखरी बार बात हुई तब कौन था उसके साथ?”
उर्मिला ने बताया,
“करिश्मा, उसकी नयी सहेली, दोनों साथ गयी थी एर्नाद घुमने| उसी ने सीमा को अस्पताल
में भर्ती किया और हमें जल्दी वहा थिरुवनंतपुरम पोहोचने के लिए कहा|”
किरण ने पूछा, “करिश्मा
के साथ कुछ बात हुई उस दिन के बारे में, उस मजार के बारे में?”
इतनी देर अपनी परशानी को
छिपा कर बैठे नागनाथ ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, “नहीं किरण, वो लड़की थोड़ी अजीब
लगी| उसने सीमा को थिरुवनंतपुरम के बड़े अस्पताल में भर्ती किया और वो हम लोगों के
पोहोचने का ही रास्ता देख रही थी| भले ही वो खुद सीमा को एर्नाद से वहा तक
अम्ब्युलेंस में ले आई पर उसने एक भी रूपया नहीं माँगा| उसने अस्पताल के पुरे
पेपर्स दिए और वो ऐसे गयी जैसे गायब हो गयी हो|”
लेखिका: रिंकू ताई
कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|
No comments:
Post a Comment