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Sunday, 13 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: पीड़ादायक समय: भाग ३

  




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दुखी स्वर में आमुक्ति ने कहा, “मार्च १९२१ तक मेरे विवाह को एक वर्ष पूरा हो गया था| विवाह वर्षगाठ का होम हवन करने के बाद मुझे उल्टियां होने लगी| वैदरानी के साथ वैद्यजी को बुलाया गया| नाड़ीपरिक्षण कर वैदरानी ने मेरे गर्भवती होने का समाचार दिया| ठीक से जांचने के बाद ये बताया की मुझे जुड़वाँ बच्चे होने वाले हैं| अंग्रेजी डॉक्टर को भी एक बार बताकर इस बात की पुष्टि की गयी| मेरे लिए ये अपने-आप में सुखद अनुभव था| मैं अपने-आप में खुश रहने लगी थी| हर रोज रामायण-महाभारत का पाठ होने लगा था| मेघश्याम खुद इस बात के लिए जागरूक थे| वे हर रोज गीता का एक अध्याय मुझे पढ़कर सुनाते| मेरे साथ बैठकर गायत्री मन्त्र का जाप करते| उनका मेरे प्रति और होनेवाले बच्चो के प्रति प्रेम और समर्पण देखकर बार-बार कन्यका माता को धन्यवाद देती थी| ऐसे करते-करते पांच महीने बित गए थे|”


लेखिका: रिंकू ताई

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