Followers

Saturday, 12 August 2023

आमुक्ति का करिश्मा: सीमा ही क्यों?: भाग २


कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|

ये सुन, सीमा थोड़ी देर के लिए बिलकुल चुप हो गयी|

थोड़ी देर के बाद, वो फिर से जोर से सासे लेने लगी, उसकी आखे गोल घुमने लगी, दांत भींचने लगे और वो फिर से बेहोश हो गयी| किरण ये देखकर विचलित हो गयी| पर उसने हिम्मत नहीं हारी|

वो उर्मिला और नागनाथ के पास गयी और उसने कहा, “ये बात पक्की हैं की वो पिशाचिनी केवल अपनी बात कहना चाहती हैं| नहीं तो अबतक सीमा को आढाटेढ़ा कर कई बार उसने पटक दिया होता| पर समस्या ये हैं की, उसकी बात कोई नहीं समझ सकता; क्यों की वो मल्यालम में बोल रही हैं| हम में से किसी को भी मल्यालम नहीं आती| तो हमें ही उपाय करना पड़ेगा|”

लेखिका: रिंकू ताई

कृपया, पूरी कथा पढ़ने के लिए अनुक्रम पर जाए|


  

No comments:

Post a Comment

अग्नि तापलिया काया चि होमे

अग्नि तापलिया काया चि होमे । तापत्रयें संतप्त होती । संचित क्रियमाण प्रारब्ध तेथें । न चुके संसारस्थिति । राहाटघटिका जैसी फिरतां...