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Friday, 22 September 2023

भगवान गणेश से सीखें जीवन जीने का तरीका


🧘‍♂️गणपति गजानंद का स्वरूप ही अपने आप में अनोखा है। गजशीश और मानव शरीर से संयोजित भगवान श्री विनायक अनेक नामों से तो मशहूर हैं ही, साथ में उनका संपूर्ण शरीर ही मैनेजमेंट का जीता-जागता उदाहरण है। इन्हें विघ्नविनाशक, विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। यही वजह है कि इन्हें मैनेजमेंट गुरु भी माना जाता है। हम यहां पर ऐसे ही मैनेजमेंट फंडे बता रहे हैं, जो हम गणेश जी से सीख सकते हैं।

बड़ा सिर, बड़ी सोच :-
गणेश जी का बड़ा सिर बड़ी सोच का दर्शाता है। जो इंसान कामयाब होते हैं वे हमेशा बड़ी सोच रखते हैं। मैनेजमेंट में कहा जाता है थिंक बिग। भगवान का शीश हाथी का है। हाथी मूलत: शांत प्रवृत्ति का होता है, लेकिन चतुर होता है। गणपति का गजशीश भी यही प्रतीकता लिए है। सब कुछ समग्रता के साथ सोचें, उस पर मनन करें और फिर क्रियान्वित करें। उसी मूल के कारण हर कार्य में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूजा जाता है।

छोटी आंख, पैनी नजर :-
भगवान गणेश की आंखे शरीर की तुलना में छोटी होती हैं। ये पैनी नजर की ओर इशारा करती है। मैनेजमेंट का भी यही फंडा है कि किसी भी फैसले से पहले सभी पहलुओं पर नजर रखें। छोटी आंखें सूक्ष्मदर्शिता का प्रतीक हैं। लक्ष्यपरक दृष्टि से अपने लक्ष्य पर नजर रखी जानी चाहिए, जैसे चील आकाश में उड़ने के बावजूद अपने शिकार पर नजर गड़ाए रखती है और तुरंत झपट्टा मार लेती है। सफल मैनेजमेंट का सिद्धांत भी यही कहता है कि उद्देश्य पर नजर रखें तभी सफलता का स्वाद मिलेगा।

बड़े कान, ध्यान से सुना :-
गणपति के कान विशालकाय होते हैं। बड़े होने के कारण वे हर छोटी-बड़ी बात को सुनने का प्रतीक हैं। अच्छे मैनेजमेंट के लिए भी यही जरूरी है, आप सभी की बात ध्यान से सुनें। ये तभी संभव है जब आप सचेत रहेंगे। जब आप दूसरे को सुनेंगे नहीं, उसके विचारों को जानेंगे नहीं, तब तक आप सफल प्रबंधक हो ही नहीं सकते।

छोटा मुंह, कम बोलो :-
गणपति सकरात्मकता के प्रतीक हैं। संस्थान में यदि आप सकारात्मक रहेंगे तो भगवान श्री गणेश की भांति लोकप्रिय तो रहेंगे ही, साथ एक सफल प्रबंधन भी कर सकने में समर्थ होंगे। एक अच्छा और सफल प्रबंधक वह होता है, जो भली-भांति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। भगवान गणेश का छोटा मुंह यह बताता है कि बात सोच समझकर बोलें। इंसान को फालतू नहीं बोलना चाहिए।

बड़ी नाक, हालात भांपना :-
सूंड यानी सूंघने की क्षमता, अर्थत हर जगह सजग रहना। हर अच्छी और बुरी चीज को पहचानना। आपकी सफलता काफी हद तक इस बात पर ही निर्भर रहती है कि आपकी ग्रहण शक्ति और पहचानने की क्षमता अच्छी हो। गणपति की सूंड यही सिखाती है। आने वाले हालात को भांपना ही मैनेजमेंट का सबसे बड़ा गुण माना जाता है।

एकदांत, एक लक्ष्य :-
भगवान गणेश से यह भी सीखना चाहिए की किस तरह से मैनेजेंट बैलेंस बनाकर चले। गणपति की नाक के पास उगा एक दांत, जिसके कारण वे एकदंत कहे जाते हैं, वह इस बात का द्योतक है कि मंजिल पर नजर ही एकमात्र लक्ष्य। नाक की सीध में लक्ष्य पर निगाह। टारगेट ओरिएंटेड। एकसूत्रीय कार्यक्रम। यही मैनेजमेंट का भी फंडा है कि टारगेट पर निगाह रखें। भगवान के छोटे पैर बैलेंस का प्रतीक हैं। इससे मैनेजमेंट को संतुलन कैसे बनाना है इसका ध्यान रखना चाहिए।

बड़ा पेट, बातें पचाना :-
भगवान गणेश को लंबोदर भी कहा जाता है। कहते हैं कि किसी भी बात को पचाने के लिए पेट बड़ा होना चाहिए। यदि आप बातों का पचाना जानते हैं तो यह मैनेजमेंट का एक बड़ा गुण माना जाता है। इसे प्रबंधक का खास गुण कहा जाता है। इसका आश्य यह है कि जरा-सी असफलता पर विचलित न हो अपने लक्ष्य से विमुख न हो। उसे सहन करें और अपने लक्ष्य की ओर सतत अग्रसर होते जाएं।



चार हाथ, सभी के साथ :-
भगवान गणेश के चार हाथ हैं। चारों हाथ चार दिशाओं के हैं यानी सफलता प्राप्त करनी है तो चहुंओर या चहुंमुखी प्रयास करना चाहिए। एक हाथ में वे मोदक पकड़े हैं तो दूसरे से आशीर्वाद दे रहे हैं। इसका अर्थ है मैनेजमेंट को सामने वाले से अच्छे संबंध रखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। सफल प्रबंधन के लिए ये चारों ही हैं।

👉 नियमों का पाश हो, अनियमितताओं पर अंकुश भी हो, श्रेष्ठकर्ता को पुरस्कार स्वरूप मीठा प्रसाद मोदक और कर्मचारियों को कार्य करने की आजादी यानी अभय का अवसर भी। यह भगवान गणेश का प्रबंधन है।

Wednesday, 20 September 2023

तर्पण

एक पंडितजी को नदी में तर्पण करते देख एक फकीर अपनी बाल्टी से पानी गिराकर जाप करने लगा कि.
"मेरी प्यासी गाय को पानी मिले।"
पंडितजी के पूछने पर उस फकीर ने कहा कि.
जब आपके चढाये जल और भोग आपके पुरखों को मिल जाते हैं तो मेरी गाय को भी मिल जाएगा.
इस पर पंडितजी बहुत लज्जित हुए।"
यह मनगढंत कहानी सुनाकर एक इंजीनियर मित्र जोर से ठठाकर हँसने लगे और मुझसे बोले कि -
"सब पाखण्ड है जी
शायद मैं कुछ ज्यादा ही असहिष्णु हूँ..
इसीलिए, लोग मुझसे ऐसी बकवास करने से पहले ज्यादा सोच समझकर ही बोलते हैं क्योंकि, पहले मैं सामने वाली की पूरी बात सुन लेता हूँ... उसके जबाब उसे जबाब देता हूँ.
खैर...  मैने कुछ कहा नहीं .
बस, सामने मेज पर से 'कैलकुलेटर' उठाकर एक नंबर डायल किया... 
और, अपने कान से लगा लिया. 
बात न हो सकी... तो, उस इंजीनियर साहब से शिकायत की.
इस पर वे इंजीनियर साहब भड़क गए.
और, बोले- " ये क्या मज़ाक है..कैलकुलेटर' में मोबाइल का फंक्शन भला कैसे काम करेगा..?
तब मैंने कहा.... तुमने सही कहा...
वही तो मैं भी कह रहा हूँ कि....  स्थूल शरीर छोड़ चुके लोगों के लिए बनी व्यवस्था जीवित प्राणियों पर कैसे काम करेगी 
इस पर इंजीनियर साहब अपनी झेंप मिटाते हुए कहने लगे- 
"ये सब पाखण्ड है , अगर ये सच है.तो, इसे सिद्ध करके दिखाइए
इस पर मैने कहा.... ये सब छोड़िए
और, ये बताइए कि न्युक्लीअर पर न्युट्रान के बम्बारमेण्ट करने से क्या ऊर्जा निकलती है ?
वो बोले - " बिल्कुल ! इट्स कॉल्ड एटॉमिक एनर्जी।"
फिर, मैने उन्हें एक चॉक और पेपरवेट देकर कहा, अब आपके हाथ में बहुत सारे न्युक्लीयर्स भी हैं और न्युट्रांस भी.
अब आप इसमें से एनर्जी निकाल के दिखाइए.
साहब समझ गए और तनिक लजा भी गए एवं बोले-
"जी , एक काम याद आ गया; बाद में बात करते हैं "
कहने का मतलब है कि..यदि, हम किसी विषय/तथ्य को प्रत्यक्षतः सिद्ध नहीं कर सकते तो इसका अर्थ है कि हमारे पास समुचित ज्ञान, संसाधन वा अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं है 
इसका मतलब ये कतई नहीं कि वह तथ्य ही गलत है.
क्योंकि, सिद्धांत रूप से तो हवा में तो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों मौजूद है.
फिर , हवा से ही पानी क्यों नहीं बना लेते 
अब आप हवा से पानी नहीं बना रहे हैं तो... इसका मतलब ये थोड़े ना घोषित कर दोगे कि हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ही नहीं है.
हमारे द्वारा श्रद्धा से किए गए सभी कर्म दान आदि आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में हमारे पितरों तक अवश्य पहुँचते हैं.
इसीलिए, व्यर्थ के कुतर्को मे फँसकर अपने धर्म व संस्कार के प्रति कुण्ठा न पालें.
और हाँ.
जहाँ तक रह गई वैज्ञानिकता की बात तो.
क्या आपने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं...या, किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या फिर पीपल या बरगद के बीज मिलते हैं ?
इसका जवाब है नहीं.
ऐसा इसीलिए है क्योंकि... बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु वह नहीं लगेगी.
इसका कारण यह है कि प्रकृति ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है.
जब कौए इन दोनों वृक्षों के फल को खाते हैं तो उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसिंग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं.
उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं.
और... किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन (O2) देता है और वहीं बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है.
साथ ही आप में से बहुत लोगों को यह मालूम ही होगा कि मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है.
तो, इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है...
शायद, इसलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी होगी.
जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये.
इसीलिए.श्राघ्द का तर्पण करना न सिर्फ हमारी आस्था का विषय है बल्कि यह प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है.
साथ ही.जब आप पीपल के पेड़ को देखोगे तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं
अतःसनातन धर्म और उसकी परंपराओं पे उंगली उठाने वालों से इतना ही कहना है कि
जब दुनिया में तुम्हारे ईसा-मूसा-भूसा आदि का नामोनिशान नहीं था
उस समय भी हमारे ऋषि मुनियों को मालूम था कि धरती गोल है और हमारे सौरमंडल में 9 ग्रह हैं.
साथ ही.हमें ये भी पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है.
कौन सी चीज खाने लायक है और कौन सी नहीं.
देश की आजादी के बाद 70 वर्षों में इन्हीं बातों को अंधविश्वास और पाखंड साबित करने का काम हुआ है। अब धीरे-धीरे सनातन संस्कृति पुनर्जीवित हो रही है ।
जय सनातन धर्म     साभार

Monday, 18 September 2023

आसक्ति और देखभाल



👋आसक्ति और देखभाल में अंतर है, अपने शरीर की देखभाल करें, परंतु बिना अपने शरीर से आसक्त हुए, अपने परिवार की देखभाल करें, लेकिन अपने परिवार से मोहग्रस्त न रहें।

जिस क्षण आप देखभाल करेंगे, आप योगदान देंगे; जिस क्षण आप परवाह करेंगे, आप ध्यान से जुड़ेंगे।🫰 जिस क्षण आप आसक्त होते हैं, आपका ध्यान वस्तु पर आरोपित हो जाता है।

आसक्ति आपके उन गुणों की बात करती है जिनका आप पोषण करते हैं; आसक्ति आपके भीतर के निम्न केंद्र की बात करती है। देखभाल आपके अंदर के उच्च केंद्रों की बात करती है। निम्न केंद्र आसक्ति से संचालित होता है जबकि उच्च केंद्र देखभाल ऊर्जा से संचालित होता है।

~भजगोविंदम,
 स्वामी सुखबोधानंद

🙏 

Saturday, 16 September 2023

नशा

*विनाश की जड---नशा !*
सर्वनाश की जड--नशा!
बीमारियों की जड--नशा!
दुर्घटना की जड--नशा!
मूर्खता की जड--नशा!
गुलामी की जड़--नशा!
बुद्धि भ्रम की जड--नशा!
बौद्धिक हानि की जड--नशा!
परिवार विखंडन की जड--नशा!
समाज विखंडन की जड--नशा!

सोचने समझने की शक्ति को नशा
समाप्त कर देता है !
अधिक नशा मनुष्य को मानसिक
रूप से पागल कर देता है!

नशा करने के कारण सर्वाधिक
दुर्घटनाएं होती है!
नशा जिस घर में होता है वहां बच्चों का
बौद्धिक विकास रुक जाता है!

नशा करने वाले मनुष्य के घर में
लक्ष्मी नष्ट होने लगती है!
नशा जिस परिवार और गांव में होता है
वो स्थान दरिद्रता को प्राप्त होने लगता है!

नशा करने वालों की शारीरिक और
मानसिक शक्ति घटने लगती है!
नशा केवल नाश है और कुछ नहीं!
नशेड़ी व्यक्ति को लोग लूट लेते हैं!

नशेड़ी व्यक्ति सबके समक्ष हंसी का
पात्र बन जाता है और वह अपना
सम्मान खो बैठता है!

नशा करने के विषय में ज्ञानियों का
मत ही नशा मति को नाश करता है!
जिस राष्ट्र में राजा और प्रजा नशा करते हैं,
वह राष्ट्र संकट में पड़ जाता है!

सभी दुष्कर्मों की जननी नशा ही है!
नशेड़ी व्यक्ति कभी भी संगठित
होकर कोई कार्य नहीं कर सकते!

नशेड़ियों की संख्या जहां अधिक होती है,
वहां दुर्घटना की संख्या और
संभावनाएं बढ़ जाती हैं !

शराब कीड़ों के मल से बनती है!
शराब पीने वाले अधिकांश लोग
मृत्यु के बाद कीड़ों की योनि में जाते हैं!

शराबी-नशेडी व्यक्ति सदैव ही अपनी
महिला को मारता और पीटता है!
कभी कभी वह विवाद इतना बढ़ जाता है,
कि उस व्यक्ति का परिवार नशे और
शराब के कारण टूटने लगता है!

१०० रोगों को नशा ही पैदा करता है!
नशा मनुष्य को घोर अन्धकार की
और ले जाता है और दु:ख कारी मृत्यु
नशेड़ी को प्राप्त होती है!

नशा करके मरने वाले मनुष्यों को
८४ लाख योनियां भुगतनी पड़ती है!
अगले जन्म में वे भी नशा बनाने वाले
कीड़ों के रूप में जन्म लेते हैं,
क्योंकि नशे के प्रति उनकी आसक्ति
उनको कीड़ों के लोक में भेज देती है!


Thursday, 14 September 2023

मैरी की कहानी

 

मेरी एक सीरियन इसाई महिला थी| केरल के त्रावणकोर में रहती थी| एकदिन उसके डैड गुजर गए| मेरी और उसका भाई उसके डैड के पीछे रह गए| 

अगर मेरी हिन्दू होती तो उसे उसके डैड की संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलता उसके भाई के साथ| पर मेरी तो इसाई थी| इसीलिए उसे उसके डैड के संपत्ति में कोई अधिकार नहीं था| इसाई ब्रिटिश काल में बने कानून के कारण ही मेरी को ये अधिकार नहीं था| 

पर मेरी ने हार न मानी| उसने अपने भाई जोसेफ के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया| मुकदमा जिला न्यायालय से सर्वोच्च न्यायलय तक गया| मेरी सर्वोच्च न्यायलय में ये मुकदमा जित गयी| 

इसाई समाज को ऐसी ही महिलाओ की जरुरत हैं जो अपने अधिकारों के लिए अदालत में कई सालों तक अपना मुकदमा लड़ती रहे और अपने अधिकारों की रक्षा करे, भलेही उसे अपने भाई, पति, या किसी अन्य रिश्तेदार के खिलाफ ही क्यों न लड़ना पड़े| 

यह कहानी भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय पर आधारित हैं| आप भी पढ़े और समझे: https://indiankanoon.org/doc/1143189/ 

Sunday, 10 September 2023

गौमाता

भारत माता की जय!

गौमाता के प्रति श्रध्दा क्यों न हो - वात्सल्य से भरी गौमाता पौष्टिक दूध देती हैं, गौमूत्र और गोबर का खाद देती हैं जिससे उत्तम फसल मिलती हैं, ऐसी स्नेहभरी गौमाता को बारम बार प्रणाम हैं| 

गाय माता से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी ।

1 गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं ।

2 जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस जगह देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं ।

3 गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है ।

4 जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है ।

5 गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते ।

6 गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है ।

7 गौ माता कि एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है ।

8 गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है।

9 गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है । किसी व्यक्ति को बुरी  नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है ।

10 गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है , उस कुबड़ में सूर्य  केतु नाड़ी होती है । रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने  से रोगों का नाश होता है ।

11 एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है ।

12 गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं ।

13 जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली  में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे  गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है ।

14 गौ माता के चारो चरणों के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है ।

15 गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे।

16 गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिये हैं ।

17 जब गौ माता बछड़े को जन्म देती तब पहला दूध बांझ स्त्री को पिलाने से उनका बांझपन मिट जाता है ।

18 स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपड़े में छानकर सेवन करने से सारे रोग मिट जाते हैं ।

19 गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है ।

20 काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो ध्यानपूर्वक  धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है ।

21 गाय एक चलता फिरता मंदिर है  हमारे सनातन धर्म में

जय श्री कृष्णा

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Friday, 8 September 2023

बज बारस पूजन विधि - हिंदी

 बज बारस पूजन विधि - हिंदी - हमेशा की तरह थोड़ा धन्यवाद और क्षमा के साथ 

भादो मास के द्वादश तिथि को  बज बारस रहती है है। उसदिन गाय और बछड़े की पूजा करनी चाहिए।  पूजा में हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, भिगाया हुआ चना, भिगायी हुई मोट, ज्वार, बाजरा, खाने के पान, सुपारी, चिल्लर रुपये, मोली (कॉटन का लाल, पीला, जामनी और हरे रंग की शेडिंग का धागा), मेहंदी, धुप बत्ती, आरती का दिया, अगरबत्ती, कपूर, बेसन के लड्डू, ब्लाउज पीस, पानी का कलश (लोटा), ज्वार या बाजरे के आटे का गोला, गुड़, इत्यादि सामान रहता है। 

गाय और बछड़े के पहले पैर धोना। चारो पैरों पर हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, मेहंदी यह चीजे चढ़ाना। गौमाता और बछड़े के माथे पर तिलक लगाकर मोली का धागा चढ़ाना। फिर भिगाया हुआ चना, भिगायी हुई मोट, ज्वार, बाजरा, बेसन के लड्डू, ज्वार या बाजरे के आटे का गोला, गुड़, यह चीजे गाय और बछड़े को खाने के लिए लिए देना। धुप बत्ती, आरती का दिया, अगरबत्ती, कपूर, इत्यादि से आरती उतार लेना - पूजा  थाली clockwise डायरेक्शन में गोल घूमाना। ब्लाउज पीस (अगर आप चाहे तो आपकी इच्छानुसार कपडे भी) गौपालक को दान कर सकते है। फिर गाय, बछड़ा, गौपालक इत्यादि को प्रणाम करें। 

उसके बाद गाय के गोबर का गोल (circle) बनाना - इसे पाल कहते है।  खाने के पान पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाना। उसके बाद सुपारी को पांच बार  मोली का धागा लपेट कर उस सुपारी में गणेशजी विराजमान है ऎसी भावना करके उसे पान पर  स्थापित करना। विधिवत गणेशजी की हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, इत्यादि से पूजन करना बेसन लड्डू और गुड़ का भोग लगाना। चना और मोट भी अर्पण करना। गोबर की पाल में पानी डालकर उसकी विधिवत पूजा करना - इसे तालाब समझ कर इसका पूजन किया जाता है। फिर पान के ऊपर बेसन  लड्डू रखना और घर में जितने कुंवारे लड़के है उनसे गोबर की पाल खंडित करवाके - उंगली से जरासा खंडित करवाना है - उन लड़कों को वह लड्डू उठाने कहे। फिर गणेशजी की आरती करें। गणेशजी को प्रणाम करे और उस पाल को भी प्रणाम करे - धन्यवाद दे "हे ईश्वर, स्वच्छ पानी के लिए धन्यवाद!"

उसके बाद पथवारी की पूजा करना है - जिसके लिए पांच छोटे पत्थर लेवे  उन्हें अच्छे से पानी से धोले। फिर हर चीज से विधिवत पूजा करे। आरती करके प्रणाम करें - यह पत्थर धरती माता के प्रतिक है। उन्हें प्रणाम कर क्षमा मांगे की आप धरती की सही से सेवा नहीं कर पा रहे और धन्यवाद दे धरती माता को की उसने आपको रहने के लिए जगह दी और आपकी सभी जरूरतों को वह पूरा कर रही है। 

यह सब होने के बाद कहानी कहना और सभी बड़ो को प्रणाम करना। 

मेरी नजर में यह पूजन:

सखियों और मित्रों गाय का पूजन हम सबने करना चाहिए - कुछ १०००- १२०० साल पहले यह पूजन उन घरों में नित्य होता था जहा गाय पाली हुई रहती थी - मतलब लघबघ सभी घरों में। पूजन क्या है ? पूजा क्या है ? - सच कहु तो मैंने खुद यह दो चीजे हर रोज की - जो मिला उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद देना और जाने अनजाने अकुशल कर्मो के लिए करुनानिधान से क्षमा मांगना। आप गौमाता और उसके बछड़े की पूजा करके उन्हें धन्यवाद दे रहे है। और धन्यवाद देने से सारे काम आसान हो जाते है और क्षमा मांग लेने से सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाती है। यह दो चीजे धन्यवाद और क्षमा आप हर रोज कीजिये और फिर देखिये आपके सारे संकल्प पुरे जाएंगे। मैं किसी दिन मेरे अनुभव मेरे समाज बांधवों के साथ शेयर कर पाउ ये मुझे लगता था - देखिये गौमाता की कृपा आप ये सब पढ़ रहे है। 

अगर आप मेरी बात से सहमत है तो निचे कमेंट सेक्शन में एकबार गौमाता का जयकारा कमेंट कर दीजिये। और मुझे सपोर्ट करने के लिए इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करिये। 
धन्यवाद। कोई भूलचूक हुई हो  तो क्षमा। 

सवेरे उठी काम काम काम….

कभी ना लिया शिव का नाम लिरिक्स कभी ना लिया शिव का नाम, सवेरे उठी काम काम काम, कभी ना लिया हरी नाम, सवेरे उठी काम काम काम..... हमरे द्वारे पे...