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Monday, 18 September 2023

आसक्ति और देखभाल



👋आसक्ति और देखभाल में अंतर है, अपने शरीर की देखभाल करें, परंतु बिना अपने शरीर से आसक्त हुए, अपने परिवार की देखभाल करें, लेकिन अपने परिवार से मोहग्रस्त न रहें।

जिस क्षण आप देखभाल करेंगे, आप योगदान देंगे; जिस क्षण आप परवाह करेंगे, आप ध्यान से जुड़ेंगे।🫰 जिस क्षण आप आसक्त होते हैं, आपका ध्यान वस्तु पर आरोपित हो जाता है।

आसक्ति आपके उन गुणों की बात करती है जिनका आप पोषण करते हैं; आसक्ति आपके भीतर के निम्न केंद्र की बात करती है। देखभाल आपके अंदर के उच्च केंद्रों की बात करती है। निम्न केंद्र आसक्ति से संचालित होता है जबकि उच्च केंद्र देखभाल ऊर्जा से संचालित होता है।

~भजगोविंदम,
 स्वामी सुखबोधानंद

🙏 

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