जिस क्षण आप देखभाल करेंगे, आप योगदान देंगे; जिस क्षण आप परवाह करेंगे, आप ध्यान से जुड़ेंगे।
आसक्ति आपके उन गुणों की बात करती है जिनका आप पोषण करते हैं; आसक्ति आपके भीतर के निम्न केंद्र की बात करती है। देखभाल आपके अंदर के उच्च केंद्रों की बात करती है। निम्न केंद्र आसक्ति से संचालित होता है जबकि उच्च केंद्र देखभाल ऊर्जा से संचालित होता है।
~भजगोविंदम,
स्वामी सुखबोधानंद
🙏
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