बज बारस पूजन विधि - हिंदी - हमेशा की तरह थोड़ा धन्यवाद और क्षमा के साथ
भादो मास के द्वादश तिथि को बज बारस रहती है है। उसदिन गाय और बछड़े की पूजा करनी चाहिए। पूजा में हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, भिगाया हुआ चना, भिगायी हुई मोट, ज्वार, बाजरा, खाने के पान, सुपारी, चिल्लर रुपये, मोली (कॉटन का लाल, पीला, जामनी और हरे रंग की शेडिंग का धागा), मेहंदी, धुप बत्ती, आरती का दिया, अगरबत्ती, कपूर, बेसन के लड्डू, ब्लाउज पीस, पानी का कलश (लोटा), ज्वार या बाजरे के आटे का गोला, गुड़, इत्यादि सामान रहता है।
गाय और बछड़े के पहले पैर धोना। चारो पैरों पर हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, मेहंदी यह चीजे चढ़ाना। गौमाता और बछड़े के माथे पर तिलक लगाकर मोली का धागा चढ़ाना। फिर भिगाया हुआ चना, भिगायी हुई मोट, ज्वार, बाजरा, बेसन के लड्डू, ज्वार या बाजरे के आटे का गोला, गुड़, यह चीजे गाय और बछड़े को खाने के लिए लिए देना। धुप बत्ती, आरती का दिया, अगरबत्ती, कपूर, इत्यादि से आरती उतार लेना - पूजा थाली clockwise डायरेक्शन में गोल घूमाना। ब्लाउज पीस (अगर आप चाहे तो आपकी इच्छानुसार कपडे भी) गौपालक को दान कर सकते है। फिर गाय, बछड़ा, गौपालक इत्यादि को प्रणाम करें।
उसके बाद गाय के गोबर का गोल (circle) बनाना - इसे पाल कहते है। खाने के पान पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाना। उसके बाद सुपारी को पांच बार मोली का धागा लपेट कर उस सुपारी में गणेशजी विराजमान है ऎसी भावना करके उसे पान पर स्थापित करना। विधिवत गणेशजी की हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, इत्यादि से पूजन करना बेसन लड्डू और गुड़ का भोग लगाना। चना और मोट भी अर्पण करना। गोबर की पाल में पानी डालकर उसकी विधिवत पूजा करना - इसे तालाब समझ कर इसका पूजन किया जाता है। फिर पान के ऊपर बेसन लड्डू रखना और घर में जितने कुंवारे लड़के है उनसे गोबर की पाल खंडित करवाके - उंगली से जरासा खंडित करवाना है - उन लड़कों को वह लड्डू उठाने कहे। फिर गणेशजी की आरती करें। गणेशजी को प्रणाम करे और उस पाल को भी प्रणाम करे - धन्यवाद दे "हे ईश्वर, स्वच्छ पानी के लिए धन्यवाद!"
उसके बाद पथवारी की पूजा करना है - जिसके लिए पांच छोटे पत्थर लेवे उन्हें अच्छे से पानी से धोले। फिर हर चीज से विधिवत पूजा करे। आरती करके प्रणाम करें - यह पत्थर धरती माता के प्रतिक है। उन्हें प्रणाम कर क्षमा मांगे की आप धरती की सही से सेवा नहीं कर पा रहे और धन्यवाद दे धरती माता को की उसने आपको रहने के लिए जगह दी और आपकी सभी जरूरतों को वह पूरा कर रही है।
यह सब होने के बाद कहानी कहना और सभी बड़ो को प्रणाम करना।
मेरी नजर में यह पूजन:सखियों और मित्रों गाय का पूजन हम सबने करना चाहिए - कुछ १०००- १२०० साल पहले यह पूजन उन घरों में नित्य होता था जहा गाय पाली हुई रहती थी - मतलब लघबघ सभी घरों में। पूजन क्या है ? पूजा क्या है ? - सच कहु तो मैंने खुद यह दो चीजे हर रोज की - जो मिला उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद देना और जाने अनजाने अकुशल कर्मो के लिए करुनानिधान से क्षमा मांगना। आप गौमाता और उसके बछड़े की पूजा करके उन्हें धन्यवाद दे रहे है। और धन्यवाद देने से सारे काम आसान हो जाते है और क्षमा मांग लेने से सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाती है। यह दो चीजे धन्यवाद और क्षमा आप हर रोज कीजिये और फिर देखिये आपके सारे संकल्प पुरे जाएंगे। मैं किसी दिन मेरे अनुभव मेरे समाज बांधवों के साथ शेयर कर पाउ ये मुझे लगता था - देखिये गौमाता की कृपा आप ये सब पढ़ रहे है।
अगर आप मेरी बात से सहमत है तो निचे कमेंट सेक्शन में एकबार गौमाता का जयकारा कमेंट कर दीजिये। और मुझे सपोर्ट करने के लिए इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करिये।
धन्यवाद। कोई भूलचूक हुई हो तो क्षमा।
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