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Thursday, 13 April 2023

विकट संकष्टी चतुर्थी

 जय श्री गणेश मेरे मित्रों और सखियों। आज विकट संकष्टी चतुर्थी के बारेमे लिख रही हूं। 

विकट संकष्टी चतुर्थी 

विकट संकष्टी चतुर्थी मतलब वैशाख चतुर्थी याने वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी। मान्यता है की इस दिन गणेशजी की पूजा तथा चतुर्थी व्रत करने से संतान प्राप्ति होती है। इस चतुर्थी को संकट हरने वाली चतुर्थी भी कहते है। यह हिंदू वर्ष की पहली बड़ी चतुर्थी है।

चतुर्थी माता की पूजा 

चौथ माता या चतुर्थी माता गौरी का ही एक रूप है। गौरी ने ही गणेशजी को जन्म दिया है। चतुर्थी के दिन माता का पूजन करना चाहिए। देवीभागवत के अनुसार देवी पार्वती और शिव ही सारी सृष्टि के निर्माणकर्ता है - दोनों प्रकृति और पुरुष है। प्रकृति के प्रति मन में हमेशा कृतज्ञता का भाव रहना चाहिए - आप प्रेमसे हर बात के लिए प्रकृति को धन्यवाद देंगे तो वह आपको आपके संकल्प पूर्ण करने की शक्ति देंगी। 

चौथ माता की प्रतिमा आपके पास है तो आप उसी प्रतिमा को स्थापित कर उसकी पूजा कर सकते है। और अगर आपके पास माता की प्रतिमा नहीं है तो कोई बात नहीं आप सुपारी को माता की जगह स्थापित कर विधिवत उसी सुपारी की पूजा कर सकते है और माता जी को वस्त्र (कमसे कम ब्लाउज पीस) चढ़ा सकते है। अगले दिन किसी गरीब स्त्री को वही वस्त्र दान दे सकते है। 

गणेश पूजन 

गणेशजी बुद्धि के देवता है तो उनका सम्बन्ध मानव के विचारों से आता है। गणेशजी की पूजा तथा गणेश मंत्रों का जाप करने से विचारों में शुद्धता आती है और उसका प्रभाव जीवन पर सभी तरह से भला ही होता है। 

तीन प्रकार के कर्म होते है - अ) वैचारिक कर्म - सरल भाषा में सोचना, ब) वाणी कर्म - बोलना और क) शारीरिक कर्म - शरीर से किया जाने वाला कर्म। जब तक आप सोचते नहीं तबतक आप शरीर या वाणी से कोईभी कर्म नहीं कर सकते है। इसीलिए आपके विचार शुद्ध रहना जरुरी है। शुद्ध विचार से ही कुशल कर्म संभव है। और अगर कर्म अच्छे है तो परिणाम भी अच्छे रहेंगे। 

चतुर्थी के दिन चौथ माता के साथ गणेशजी की पूजा  करनी चाहिए। 
आप सभी गणेश भक्तों को पता है ही की गणेशजी को दूर्वा और मोदक अति प्रिय है। इसीलिए आपको चाहिए की इस दिन उत्तम मुहूर्त में पूजा की जाए। गणेशजी के पूजन पूर्व उन्हें स्नान कराएं। फिर पूजा की चौकी पर उन्हें आदरपूर्वक स्थापित करें। प्रेमसे उनका श्रृंगार करे - कुमकुम, सिंदूर आदि चढ़ाए। वस्त्र पहनाए। कमसे काम २१ दूर्वा अर्पित करें और लाल रंग के फूल चढ़ाए। फिर भगवान को भोग (कमसे कम २१ मोदक) अर्पित करे ।

उसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष या गणेश स्तोत्र का कमसे कम २१ बार पठन करें। गणपति मंत्र की माला भी आप चाहे तो फेर सकते है। 

चन्द्र दर्शन एवं चन्द्र पूजन 

चतुर्थी के दिन चन्द्र उदय के बाद चन्द्रमा  दर्शन कर उन्हें अर्घ्य अर्पित कर पूजन करते है। यह पूजन इसलिए है क्यों की -

१) मनुष्य शरीर में ७०% पानी होता है और चन्द्रमा का खगोलीय असर पानी पर होता है - इसका मतलब हमारे शरीर पर भी उसका असर उतने ही अनुपात में होता है जितने अनुपात में सागर पर होता है। कुछ विशिष्ट तिथियों पर चंद्र का दर्शन करने से मतलब  क्षण चंद्रप्रकाश में बिताने से हमारे शरीर पर उसका अच्छा असर होता है इसीलिए उन खास तिथियों पर कोई न कोई व्रत या त्यौहार सनातन धर्म सस्कृति में मनाया जाता है। 

२) मनुष्य का मन जल समान है - शान्त हुआ की साफ़ होना शुरू हो जाता है। और इसीलिए मन का स्वामी चन्द्र  ऐसा ज्योतिषशास्त्र का मत है।  इसीलिए चंद्र का दर्शन करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। 

३) चन्द्र का प्रभाव सभी जीवित वस्तुओ पर होता है - वनस्पतियो पर भी होता है। की वनस्पतिया औषधीय होती है उनकी शुद्धि जरुरी है इसीलिए चन्द्र को अर्घ्य प्रदान करते समय मनमे वनस्पतियों की शुद्धि की प्रार्थना अवश्य करे। 

भारतीय परम्पराओं में मन के मालिक बनने के हिसाब से ही पूजन विधिया है। और अध्यात्म केवल मन को स्वच्छ करने के लिए है। गणेशजी और चन्द्र के पूजन से मन और विचार दोनों की शुद्धि  होती है इसीलिए चतुर्थी के दिन चतुर्थी माता के साथ उनका भी पूजन किया जाता है। 

संतान प्राप्ति और सौभाग्य प्राप्ति 

संतान प्राप्ति का और चतुर्थी पूजन का सम्बन्ध क्या है? यह प्रश्न मनमे आता है। उसका एक उत्तर यह है की चन्द्रमा का एक माह की एक पूरी साइकिल है - पूर्णिमा से अगली पूर्णिमा तक का एक महीने का समय है। और महिलाओ की महावारी का समय भी उतना ही है। चन्द्र पूजन से गर्भ धारणा की सम्भावनाये बढ़ जाती है इसीलिए चन्द्र दर्शन और पूजन आवश्यक है। संतान प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत पति और पत्नी दोनों को करना चाहिए तभी अच्छी संतान की प्राप्ति होंगी। 

अगर आपके विचार शुद्ध है तो कर्म कुशल रहेंगे और उनसे सारी बाधाएं दूर हो जाएँगी और आपका सौभाग्य जागेगा इसीलिए चतुर्थी व्रत से सारे संकट दूर हो कर व्रत करने वाले पुरुष और स्त्री दोनों को सौभाग्य प्राप्त होता है।

माता, गणेशजी और चन्द्रमा का पूजन चतुर्थी के दिन करते है। अगर आप पूजन पूर्व मन को शांत करके धन्यवाद करते है और मन ही मन देवताओ से जाने अन्जाने बुरे कर्मो की क्षमा याचना करके फिर आपके संकल्प को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हो तो आपका व्रत अवश्य पूरा होगा और फलदायी होगा। 

अंततक पढ़ने के लिए धन्यवाद। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। और निचे कमेंट बॉक्स में  एक बार माता का जयकारा लगा दीजिये। 

Monday, 10 April 2023

तीसरी आंख

जय श्री राम काफिरों!

हा आपको काफ़िर कह कर संबोधित किया हैं मैंने| आप भारतीय सिनेमा के लिए एक काफिर ही तो हैं| और "सिनेमा और समाज" इस लेख श्रृखला में आपको काफिर ही कहूँगी|

नमस्ते मैं हु रिंकू ताई और आपका स्वागत हैं मेरे इस ब्लॉग पर!


इस ब्लॉग में १९६६ की फिल्म "तीसरी आंख" के बारे में जानेंगे। यह फिल्म मारे गए गुलफाम इस कहानी पर आधारित है। फणीश्वर नाथ रेणु जो कि फिल्म के डायलॉग राइटर है उन्होंने ही मारे गए गुलफाम यह कहानी लिखी थी।

मूल कहानी का मुख्य किरदार गुलफाम है और फिल्म का मुख्य किरदार हीरामन हैं। फिल्म में किरदारों के नाम क्यों बदले यह तो फिल्म निर्देशक बासु भट्टाचार्य ही जाने! अगर आप जानते हो तो कृपया कमेंट करना।

कवि शैलेंद्र इस फिल्म के निर्माता है। शंकर जयकिशन का संगीत फिल्म को दिया गया है। सुब्रता मित्र ने फिल्म की सिनेमेटोग्राफी की है। फणीश्वर नाथ रेणु के साथ नबेंदु घोष ने स्क्रीनप्ले लिखा है। राज कपूर और वहीदा रहमान यह दोनों फिल्म के मुख्य कलाकार है।

राज कपूर ने बैलगाड़ी चलाने वाले का किरदार निभाया है। उस गांव के बैलगाड़ी हांकने वाले लड़के की तीन कसमो पर यह फिल्म बनी है। वहीदा रहमान जिसका नाम फिल्म में हीराबाई है, वह एक नौटंकी में नृत्य करने वाली है। 

एक जमाना था जब गांव गांव घूमकर कुछ नौटंकी करने वाले लोगों का मनोरंजन करते थे तथा यह उनका पेशा उन्हें रोजगार भी देता था। इस सिनेमा में यह बताया गया है कि नौटंकी में काम करने वाली महिला हमेशा चरित्रहीन ही रहती है। और महिलाओं ने ऐसे काम नहीं करना चाहिए। 

सवर्ण ठाकुर विक्रम सिंह को हीराबाई के जीवन का खलनायक बताया जाता है। यह भी खुलकर बताया गया है कि हीराबाई को चंद रुपयों के लिए बचपन में ही अगवा कर नौटंकी करने वाले को बेचा जाता है और यह नौटंकी करने वाला अपनी कंपनी की महिलाओं से वैश्या व्यवसाय करवाता है। 

नौटंकी यह पेशा विशेष समुदाय के लोग ब्रिटिश राज में भी किया करते थे और स्वतंत्रता मिलने के बाद भी किया करते थे। नाटक या नौटंकी एकतरह थियेटर परफॉर्मिंग एक्ट है। फिल्म में अंत में हीरो के मन में नौटंकी करने वाली महिलाओं के प्रति घृणा बताई गई है और इसी के चलते वह तीसरी कसम लेता है कि आगे से नौटंकी करने वालों को वह अपनी बैलगाड़ी में कभी सवार होने नहीं देगा। 

पहली दो कसमे कानून के पालन के लिए वह लेता है। जैसे चोरी का माल या गैर कानूनी चीजें वह कभी अपनी बैलगाड़ी में ढोएगा नहीं। दूसरी कसम अपनी बैलगाड़ी में वह कभी बांबू जैसी भारी वस्तु या कोई अन्य वस्तु जिसका वजन जरूरत से ज्यादा है वो ढोएगा नही। दोनों कसमे कानून के दायरे में रहकर वह लेता है। अब इनके साथ जब वह तीसरी कसम लेता है कि वह नौटंकी करने वाली महिला को कभी अपनी बैलगाड़ी में सवारी नहीं देगा तब दर्शकोंके मन में कहीं न कहीं यह बात घर कर जाती है कि नौटंकी करने वाली या कोई भी स्टेज आर्ट परफॉर्म करने वाली महिला चरित्रहीन होती है और उनसे दूर ही रहना चाहिए।

भले ही फिल्म में यह बताया गया है कि कामकाजी महिलाओं को लैंगिक अत्याचार सहने पड सकते है, पर यह बता देना कि कोई कलाकार महिला चरित्रहीन होती है बिल्कुल गलत है। यह कहीं ना कहीं अपने पैरों पर खड़े होकर जीवन यापन करने के लिए किसी भी तरह का काम करने वाली सभी महिलाओं पर चरित्रहीन होने का लेबल अनजाने में लगाया गया है।

यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही। फिर भी इस फिल्म को कई पुरस्कार मिले। बेस्ट फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भारतीय सरकार ने इस फिल्म को दिया। यह फिल्म मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भारत की तरफ से नौमीनेट की गई थी। इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में कौन सी फिल्म भेजी जाएगी यह तय करने के लिए भारतीय सरकार एक समिति गठित करती है। बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवॉर्ड्स में इस फिल्म को बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस यह पुरस्कार मिले। जो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाई नहीं कर पाई उस फिल्म को १९६६-६७ में इतने पुरस्कार कैसे मिलते हैं? और यह फिल्म भारत की तरफ से एक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में कैसे जाती है? यह तो समझ के परे हैं। अगर आपको समझा हो तो कृपया कमेंट कर दीजिए।

यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद!

ये ब्लॉग लिखने के लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ती हैं| अगर आपको ब्लॉग अच्छा लगा हो तो कृपया इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे| आपकी राय निचे कमेंट करिए| हो सके तो इस ब्लॉग को फॉलो कर लीजिये| इससे एक प्रेरणा बनी रहती हैं की कोई मेरी बात शांति से पढ़ कर समझ रहा हैं| आपका एक शेयर और एक कमेंट ब्लॉग की इंगेजमेंट बढाकर इसे ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पोहोचाता हैं|

जय माता दी!

Sunday, 9 April 2023

ए. के. हंगल

जय श्री राम काफिरों!

हा आपको काफ़िर कह कर संबोधित किया हैं मैंने| आप भारतीय सिनेमा के लिए एक काफिर ही तो हैं| और "सिनेमा और समाज" इस लेख श्रृखला में आपको काफिर ही कहूँगी|

नमस्ते मैं हु रिंकू ताई और आपका स्वागत हैं मेरे इस ब्लॉग पर!


ए के हंगल - शोले के इमाम साहब!

मेरा यह ब्लॉग ए के हंगल के नाम हैं|

ए के हंगल पूरा नाम अवतार किशन हंगल, जन्म से कश्मीरी पंडित हैं और इनका जन्म सियालकोट में १ फरवरी १९१४ को हुआ था| सियालकोट अब पाकिस्तान में हैं तब ब्रिटिश राज के समय पंजाब प्रोविएंस में था| कश्मीरी पंडित रहने के बावजूद भी ए के हंगल शुरूआती दिनों में दर्जी का काम किया करते थे| मतलब ऐसा कभी जरुरी नहीं था की अगर आप पंडित हैं तो केवल पूजा पाठ ही कर सकते हैं - भारतीय समाज में व्यक्ति शुरू से ही अपनी रूचि के हिसाब से अपना व्यवसाय चुन सकते थे| 

ए के हंगल का बचपन और जवानी पेशावर में ही ज्यादा गुजरा| इन दिनों ये थिएटर आर्टिस्ट के रूप में भी कई रोल कर चुके थे| और कई सालों तक कई नाटक उन्होंने किये| १९४७ में बटवारे के समय उन्होंने पाकिस्तान में रहना स्वीकार किया था, परन्तु उनकी कम्युनिस्ट विचारधारा के चलते उन्हें पाकिस्तान सरकार ने जेल में बंदी बना लिया था| १९४९ में रिहा होने के बाद वे मुंबई आये और यहाँ पर दर्जी का काम करने लगे| समय मिलने पर नाटक भी किया करते थे| फिर १९६६ में इन्हें राज कपूर की फिल्म तीसरी कसम में पहली बार उम्र के ५५ बिट जाने के बाद काम मिला| १९१२ तक फिल्मों में कई छोटे मोटे रोल करने के बाद उन्होंने कृष्ण और कंस नामक फिल्म में उग्रसेन का रोल तथा मधुबाला एक इश्क एक जूनून इस सीरियल में स्पेशल अपीयरेंस किया और उसके बाद २६ अगस्त १९१२ में उम्र के ९८ वे साल में गुजर गए| ये कलाकार अपनी उम्र के आखरी समय तक काम करता रहा|

कई आर्टिकल्स आपको मिल जायेंगे जो कहेंगे की ए के हंगल एक स्वतंत्रता सेनानी हैं| कोई ब्रिटिश राज के समय पेशावर या कराची से ताल्लुक रखने वाला इंसान हमेशा ही स्वतंत्रता सेनानी हो ये जरुरी नहीं हैं| अगर वो स्वतंत्रता सेनानी थे तो किस क्रन्तिकारी की विचारधारा से प्रभावित थे ये भी जानना जरुरी हैं| पर इसके प्रमाण कही नहीं लिखे गए हैं| अगर आपको पता हो तो कमेंट कर जरुर बताइए| कई जगहों पर ये भी लिखा मिलेगा की कमला नेहरु उनकी दूर की मौसी हैं| केवल कश्मीरी पंडित रहने से कोई नेहरु परिवार का रिश्तेदार नहीं होता| यही हैं बॉलीवुड की गन्दगी|

जब ए के हंगल पेशावर में थे तब वो श्री संगीत प्रिय मंडल यह नाटक ग्रुप के सदस्य थे| कराची में उन्हें अपनी कम्युनिस्ट विचारधारा के चलते तिन साल की सजा हुई थी उसके बाद वो मुंबई चले आये| मुंबई में वो बलराज साहनी और कैफ़ी आज़मी जैसे मार्क्सवादी नाटककारो से जुड़ गए| और इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन के मेम्बर बन गए| कई नाटको में उन्होंने लीड रोल किया, और ज्यादातर नाटक कम्युनिस्ट और मार्क्सिस्ट विचारधारा के थे| 

ए के हंगल ने २०० से अधिक फिल्मों में अलग अलग भूमिकाये की| उनके इसी योगदान के लिए २००६ में भारतीय सरकार ने उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार दिया था| इसके बावजूद ए के हंगल की जिंदगी बदहाली में गुजरी| राज ठाकरे ने अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मदत से ए के हंगल की मेडिकल ट्रीटमेंट में मदत की थी| बाकी इस कलाकार को तो बॉलीवुड ने जैसे भुला ही दिया था| अब ऐसा क्यों हुआ? बॉलीवुड की परंपरा इसका कारण हैं या और कोई वजह ये आप ही बता सकते हैं|

यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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जय माता दी!


Saturday, 8 April 2023

Indian Cinema GK Part 1




1) Davika Rani Choudhury is known as the first lady of Indian cinema.
2) Davika Rani was educated in boarding school in England since her age at 9 years. How could a woman who had education from a foreign institute, understand the social issues of Indian society?
3) Davika Rani was married with Himanshu Rai.
4) Davika Rani's debut film was Karma (in English) also known as Nagin ki Ragini (in Hindi) was produced in Hindi and English.
5) Film Karma was flopped badly in India because people during 1930's didn't like to watch a prolong kissing scene featuring the real life couple as they were having sense of vulgarity and non-vulgarity.
6) Davika Rani got Padmashri award in 1958 and 1st Dadasaheb Phalke award in 1970.
7) Russian government had honoured Davika Rani with Soviet Land Nehru Award.
8) Davika Rani's father Manmatha Nath Choudhuri was first Indian Surgeon General of Madras Presidency.
9) Bollywood's first English song was sang by Davika Rani.
10) Himanshu Rai established a film studio named Bombay talkies in 1934.
11) Bombay talkies released it's first film in 1935 titled as Jawani ki hawa which was a Hindi film starring Davika Rani and Najm-ul-Hassan.
12) 1935 film Jawani ki hawa was shot fully on a train.
13) Davika Rani who was married to Himanshu Rai was in love with her costar Najm-ul-Hassan.
14) Due to affair of Davika Rani with Najm-ul-Hassan, shooting of film Jeevan Naiya was affected and Bombay talkies suffered huge financial loss and a loss of credit among bankers.
15) In love with Najm-ul-Hassan, Davika Rani eloped with him, but Himanshu Rai with help of his assistant at studio Sashadhar Mukherjee convinced her to come back and accepted her conditions of return.
16) Davika Rani actually wanted to take divorce from her husband Himanshu Rai but at that time it was legally impossible for a Hindu woman to take divorce.
17) Due to affiar of Davika Rani with Najm-ul-Hassan, Himanshu Rai replaced Najm-ul-Hassan's role with Ashok Kumar in film Jeevan Naiya.
18) Film Jeevan Naiya was Ashok Kumar's debut film.
19) Sashadhar Mukherjee what's friend and assistant of Sudhanshu Rai. Ashok Kumar was brother of Mukherjee's wife. Nepotism was present in Bollywood since it's early decades.
20) 1936 film titled Achhut Kannya was a love story of untouchable girl and Brahmin boy. This film in fact created Amity between untouchables and Brahmins.
21) again in 1937 film Jeevan Prabhat produced by Bombay talkies shown a story of extra marital affair of abrahamin woman with an untouchable man again defend upper cast Hindus and created in Mithi between upper and lower castes.
22) In 1940, Sudhanshu Rai died and Devika Rani took over the control of Bombay talkies studio.
23) in 1945 Devika Rani quited film industry and married to Russian painter Svetoslav Roerich.
24) Devika Rani died of bronchitis on 9th March 1994.
25) Devika Rani was known as the dragon lady for her smoking drinking cursing and hot temper.
26) a poster stamp of Devika Rani was released by the ministry of communications and information technology in February 2011.
27) Devika Rani was closely related to Rabindranath Tagore from her paternal and maternal families.
28) Devika Rani head friendly relations with Nehru family since 1945 when she moved to Manali Himachal Pradesh with her second husband Svetoslav Roerich.
29) This was Davika Rani who had a father employees with British Government, father and mother related to Rabindranath Tagore, relations with Nehru family and was a Padma awardee.
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सवेरे उठी काम काम काम….

कभी ना लिया शिव का नाम लिरिक्स कभी ना लिया शिव का नाम, सवेरे उठी काम काम काम, कभी ना लिया हरी नाम, सवेरे उठी काम काम काम..... हमरे द्वारे पे...