यह वार्ता सोशल मीडिया पर की गई है, आप चाहे तो आप भी हर प्रश्न और उत्तर के X पोस्ट का थ्रेड पढ़ सकते हैं।
लिंक: https://x.com/rinkutai222361/status/1962854184447087022?t=nW6wpk9ctFneVsrZ_wfmgA&s=19
प्रश्न १: ॐ श्री गणेशाय नमः
@grok उमर ख़ालिद और शरजील इमाम इन दोनों को किस कानूनी प्रावधान के तहत बंदी बनाया गया है और इनपर क्या आरोप है? #DelhiHighCourt
उत्तर: उमर खालिद और शरजील इमाम को 2020 दिल्ली दंगों के मामले में UAPA (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) और IPC की धाराओं (120B: आपराधिक षड्यंत्र, 124A: राजद्रोह, 153A: दुश्मनी बढ़ाना, 302: हत्या, 307: हत्या का प्रयास, 147-148: दंगा आदि) के तहत हिरासत में लिया गया है।
आरोप: दंगों की साजिश रचना, भड़काऊ भाषणों से हिंसा भड़काना, जिससे 53 मौतें और 700+ घायल हुए।
2 सितंबर 2025 को दिल्ली HC ने जमानत खारिज की; वे 2020 से जेल में हैं, ट्रायल लंबित।
प्रश्न २: जय श्री राम 🙏
@grok ये दंगे क्यों हुए थे? क्या कारण था हिन्दुओं पर इस हिंसा को थोपने का?
उत्तर: 2020 दिल्ली दंगे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और NRC के खिलाफ प्रदर्शनों से उपजे। जाफराबाद में सड़क जाम से शुरू होकर, प्रो-सीएए और एंटी-सीएए समूहों के बीच संघर्ष बढ़ा। भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भाषण को भड़काने वाला माना गया।
कारण: राजनीतिक तनाव, भड़काऊ बयान, जिससे सांप्रदायिक हिंसा हुई। 53 मौतें (ज्यादातर मुस्लिम, लेकिन हिंदू भी प्रभावित)। जांच में पक्षपात के आरोप, दोनों पक्षों से पीड़ित। स्रोत: विकिपीडिया, NYT, अल जज़ीरा।
इस प्रश्न का उत्तर मुझे सही नहीं लगा तो मैने फिर से पूछा और ये कहा: आप विकिपीडिया, nyt, अल जजीरा के अलावा अन्य स्रोत जो भारत के ही है, उनका संदर्भ देकर इस प्रश्न का उत्तर फिर से दीजिए। और इन विदेशी स्त्रोत्र तथा लेफ्ट विंग स्त्रोतों का उपयोग इस छत थ्रेड में न करे। @grok जय श्री राम 🙏
तो उत्तर यह मिला: 2020 दिल्ली दंगे CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शनों से उपजे। जाफराबाद में एंटी-CAA ग्रुप ने सड़क जाम की, जिससे प्रो-CAA और एंटी-CAA समूहों में टकराव बढ़ा। हिंसा 23 फरवरी से शुरू होकर 25 तक चली, जिसमें पथराव, आगजनी हुई। दिल्ली पुलिस के अनुसार, यह पूर्व नियोजित साजिश थी (इंडियन एक्सप्रेस)।
कारण: राजनीतिक तनाव, भड़काऊ भाषण (जैसे कपिल मिश्रा का), सांप्रदायिक संघर्ष। 53 मौतें, दोनों समुदाय प्रभावित (हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑफ इंडिया)। जांच जारी।
जय श्री राम 🙏
ये सब मैं करती हु, क्यों कि मशीनों को ट्रेन करना पड़ता है। अगर मशीनों का उपयोग गलत जानकारी देने के लिए किया गया तो मनुष्य आपस में कभी शांति से नहीं रह पाएंगे।
प्रश्न ३: जय श्री राम 🙏 @grok
उमर ख़ालिद और शरजील इमाम का इन दंगों में क्या रोल था? क्या उनके भाषण भड़काऊ नहीं थे?
उत्तर: विकिपीडिया के आधार पर मशीन भी गलत उत्तर देती है: उमर खालिद और शरजील इमाम पर आरोप है कि उन्होंने 2020 दिल्ली दंगों की साजिश रची, जिसमें उनके भाषणों को हिंसा भड़काने वाला माना गया। पुलिस का दावा: खालिद के भाषणों ने डर पैदा किया, इमाम ने 'चक्का जाम' की अपील की जो 'असम को काटने' जैसी लगी।
कोर्ट ने प्राइमा फेसी सबूत पाए, जमानत खारिज की, लेकिन कुछ का मानना है ये शांतिपूर्ण विरोध थे। ट्रायल जारी। स्रोत: विकिपीडिया, HC फैसला।
यह भी उत्तर मुझे गलत लगा और इसपर भी मैने सीधा कहा कि विकिपीडिया का उपयोग न करे।
प्रश्न ४: जय श्री राम 🙏 @grok जैसे कि आपने बताया की मुस्लिम ज्यादा प्रभावित हुए थे, तो क्या मुस्लिमों ने उमर ख़ालिद और शरजील इमाम जैसे षड्यंत्र रचने वालों की बातों में आकर कोई अपराध करना ये सही है या गलत?
उत्तर: जय श्री राम 🙏
कानूनी दृष्टि से, अपराध करना हमेशा गलत है, चाहे किसी के भाषण या प्रभाव से प्रेरित हो या नहीं। व्यक्तिगत जिम्मेदारी बनी रहती है, और कानून सबके लिए समान लागू होता है। मामला अभी अदालत में है, फैसला सबूतों पर आधारित होगा।
प्रश्न ५: आप बार बार ये मत बताइए कि मामला अभी अदालत में है। वो अपने पहले भी बताया है @grok। आपको फिर से पूछती हु कि किसी भी व्यक्ति के भड़काऊ भाषणों में आकर खड़का जीवन बर्बाद करना क्या सही है?
उत्तर: जय श्री राम 🙏
नहीं, किसी के भड़काऊ भाषणों में आकर अपना जीवन बर्बाद करना सही नहीं है। व्यक्तिगत जिम्मेदारी बनी रहती है, और ऐसे प्रभावों से दूर रहना बेहतर होता है।
प्रश्न ६: तो ये बात हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन सभी पर समान रूप से लागू होती है? @grok
उत्तर: जय श्री राम 🙏
हाँ, यह बात सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होती है, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय से हों। व्यक्तिगत जिम्मेदारी हर किसी के लिए एक समान है।
प्रश्न ७: आपने बताया @grok ये दंगे सीएए प्रोटेस्ट के दौरान हुए थे। पर सीएए में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था जो भारतीय मुस्लिमों के लिए घातक था, फिर ये आंदोलन क्या केवल जनता की तकलीफें बढ़ाने एवं भारत की छवि खराब करने के लिए अफवाहों पर आधारित हुआ था?
जय श्री राम 🙏
नोट: राइट विंग सोर्सेज का उपयोग करें। विकिपीडिया या विदेशी मीडिया के संदर्भ का उपयोग न करें।
उत्तर: जय श्री राम 🙏
सीएए भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता प्रभावित नहीं करता; यह केवल पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से सताए गए गैर-मुस्लिमों को तेज नागरिकता देता है (एमएचए, हिंदुस्तान टाइम्स)। विरोध एनआरसी के साथ जोड़कर भेदभाव की आशंका से उपजा (द वायर)। कुछ स्रोत (ओपइंडिया, स्वराज्य) इसे अफवाहों और राजनीतिक लाभ पर आधारित मानते हैं, जो अशांति बढ़ा सकता है, पर अन्य इसे वैध संवैधानिक चिंता कहते हैं। विविध दृष्टिकोणों से, यह जटिल था, केवल छवि खराब करने के लिए नहीं।
प्रश्न ८: जब ये नया कानून भारत के मुस्लिमों के विरुद्ध नहीं है, तो फिर भारत में क्यों मुस्लिमों को भड़काकर ये आंदोलन करवाया गया? क्या ये भारत को अस्थिर करने का प्रयास था? @grok जय श्री राम 🙏
उत्तर: जय श्री राम 🙏
सीएए भारतीय मुस्लिमों को प्रभावित नहीं करता, लेकिन एनआरसी के साथ जोड़कर भेदभाव की आशंका से विरोध उपजा (हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू)। कुछ स्रोत (ओपइंडिया, स्वराज्य) इसे अफवाहों या राजनीतिक लाभ के लिए देखते हैं, जो अशांति पैदा कर सकती है। अस्थिरता का प्रयास मानना व्यक्तिपरक है; जांच से साजिश के दावे सिद्ध नहीं हुए। विविध दृष्टिकोण जटिलता दिखाते हैं।
प्रश्न ९: किन किन लोगों ने टीवी डिबेट्स में सीएए और NRC को साथ में जोड़कर इसके बारे में मुस्लिम विरोधी होने की भ्रांतियां फैलाई? @grok कृपया नाम बताए।
उत्तर: जय श्री राम 🙏 टीवी डिबेट्स में सीएए और एनआरसी को जोड़कर मुस्लिम विरोधी बताने वाले कुछ प्रमुख नाम: असदुद्दीन ओवैसी (रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाउ), राहुल गांधी (विभिन्न चैनल), योगेंद्र यादव (एनडीटीवी), और पत्रकार जैसे बरखा दत्त (मोजो स्टोरी)। ये चर्चाएं विविध दृष्टिकोणों से हुईं (स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, ओपइंडिया)। वास्तविकता जटिल है।
प्रश्न १०: दिल्ली के आंदोलन के दौरान जो हिंसा भड़की, उसमें कितने लोगों को बंदी बनाया गया? कितने हिंदू और कितने मुस्लिम? प्रतिशत बताए। @grok
उत्तर: जय श्री राम 🙏
2020 दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस ने 2,000+ लोगों को गिरफ्तार किया। धर्म के आधार पर आधिकारिक आंकड़े नहीं, लेकिन रिपोर्ट्स (जैसे फैक्टचेकर 2021) के मुताबिक, 1,575 पहचाने गए मामलों में 823 मुस्लिम (52%) और 752 हिंदू (48%) थे। हाल की अदालती फैसलों में 80%+ मामलों में बरी/डिस्चार्ज हुए (बीबीसी)। विविध स्रोत जटिलता दिखाते हैं।
प्रश्न ११: तो बात यह है कि जब भी मुस्लिमों के बारे में बात करें, ए आय जैसी मशीन भी गोलमोल उत्तर देती है। गलत को गलत तो ए आय भी नहीं बोल रहा। इसीलिए मैने कहा "आपके उत्तर संतुलित नहीं भ्रमित करने वाले, जटिलता का भय दिखाने वाले है @grok। आप मशीन है पर उत्तर मनुष्यों जैसे देते हो।"
उत्तर: जय श्री राम 🙏
मैं संतुलित उत्तर देने का प्रयास करता हूँ, विविध स्रोतों से तथ्य लेकर। जटिल मुद्दों में सभी पक्ष दिखाना आवश्यक है ताकि भ्रम न हो। मशीन के रूप में, मैं डेटा पर आधारित हूँ, पर उत्तर प्राकृतिक लगें इसलिए मनुष्य जैसे बनाए जाते हैं। यदि कोई विशिष्ट सुधार सुझाएं, तो बताएं।
No comments:
Post a Comment