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मराठा आरक्षण क्या है?
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उत्तर: मराठा आरक्षण महाराष्ट्र राज्य में मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की नीति है।
इसका उद्देश्य मराठा समाज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारना है, लेकिन यह मुद्दा कई बार कानूनी और राजनीतिक बहस का विषय भी रहा है।
प्रश्न २: किस तरह की कानूनी बहस मराठा आरक्षण पर हुई है @AskPerplexity ?
उत्तर: मराठा आरक्षण को लेकर प्रमुख कानूनी बहस यह रही है कि क्या इस आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50% आरक्षण की सीमा पार हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया, क्योंकि कोर्ट के अनुसार यह सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC) की श्रेणी में उचित रूप से साबित नहीं हो पाया था।
इस मुद्दे पर राज्य और केंद्र सरकारों के बीच भी मतभेद और कई बार विधानसभा में चर्चा हुई है।
प्रश्न ३: किस कैटेगरी के तहत मराठा आरक्षण को मान्यता दी गई है? @AskPerplexity
उत्तर: मराठा आरक्षण को महाराष्ट्र में “सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग” यानी SEBC (Socially and Educationally Backward Class) कैटेगरी के तहत मान्यता दी गई थी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इस आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया, इसलिए अभी मराठा समाज को SEBC के तहत आरक्षण नहीं मिल रहा है।
प्रश्न ४: Sebc को विस्तार से परिभाषित करिए @AskPerplexity
उत्तर: SEBC यानी "सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग" उन जातियों या समुदायों को कहा जाता है, जो समाज और शिक्षा के स्तर पर दूसरी मुख्य जातियों की तुलना में पीछे माने जाते हैं।
इस कैटेगरी में ऐसे वर्ग आते हैं जिन्हें आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी का मौका दिलाने के लिए सरकारी योजनाओं और आरक्षण का लाभ दिया जाता है।
SEBC की पहचान राज्य या केंद्र सरकार की अलग-अलग समितियां और आयोग करती हैं, जो समाज के विभिन्न पहलुओं—जैसे शिक्षा, रोजगार और सामाजिक स्थिति—का अध्ययन करती हैं।
प्रश्न ५: Sebc की संवैधानिकता क्या है? @AskPerplexity
उत्तर: SEBC की संवैधानिकता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत आती है, जो सरकार को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की अनुमति देते हैं।
हालांकि, ये आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50% सीमा के भीतर ही मान्य माने जाते हैं, और इनकी संवैधानिकता हमेशा न्यायिक समीक्षा के अधीन रहती है।
प्रश्न ६: सुप्रीम कोर्ट ने किस केस में आरक्षण की सीमा ५०% तय की थी और क्यों कि थी? @AskPerplexity
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के ऐतिहासिक इंदिरा साहनी केस (Indra Sawhney v. Union of India), जिसे मंडल कमीशन केस भी कहते हैं, में आरक्षण की सीमा 50% तय की थी।
कोर्ट का मानना था कि आरक्षण की ज्यादा सीमा सामाजिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध जा सकती है और इससे समानता का अधिकार प्रभावित होगा, इसलिए 50% से अधिक आरक्षण सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में ही दिया जा सकता है।
प्रश्न ७: तो क्या इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया था? @AskPerplexity
उत्तर: हां, सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को मुख्य रूप से इसी वजह से असंवैधानिक घोषित किया था कि इससे 50% आरक्षण की सीमा पार हो रही थी।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि मराठा समाज को SEBC में शामिल करने के पर्याप्त ठोस आधार नहीं थे, इसलिए आरक्षण रद्द कर दिया गया।
प्रश्न ८: अब किस आधार पर मराठा sebc में शामिल किए गए हैं? @AskPerplexity
उत्तर: मराठा समाज को SEBC में शामिल करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर कई समितियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिनमें मराठा समुदाय की स्थिति का विश्लेषण किया गया था।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ये आधार पर्याप्त नहीं थे, इसलिए कानूनी रूप से अभी मराठा समाज SEBC के अंतर्गत नहीं आता; फिलहाल सरकार द्वारा नया डेटा जुटाने और समाधान ढूंढ़ने की प्रक्रिया चल रही है।
प्रश्न ९: मतलब देवेन्द्र फडणवीस की सरकार इसपर रिपोर्ट बना रही है, तो फिर जरांगे क्या कर रहे है? #मराठा_आरक्षण
उत्तर: फिलहाल जरांगे पटिल मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन और जनजागृति अभियान चला रहे हैं, ताकि सरकार पर दबाव बना रहे और समुदाय के हितों की रक्षा हो सके।
वहीं, सरकार डेटा इकट्ठा करने और रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया में है, जबकि जरांगे का फोकस आंदोलन के जरिए मुद्दे को तेज़ रखना है।
प्रश्न १०: आंदोलन का क्या उपयोग जब डेटा इकट्ठा करने का काम और आरक्षण देने का काम देवेंद्र फडणवीस ने किया। आंदोलन से केवल अशांति ही फैलाने का काम क्यों करते है कुछ लोग? @AskPerplexity
उत्तर: आंदोलन का उद्देश्य केवल अशांति फैलाना नहीं होता, बल्कि समाज की आवाज़ और मांगों को सरकार तक पहुँचाना भी होता है।
जरांगे जैसे लोग आंदोलन के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सरकार समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से ले और समाधान के लिए कदम उठाए।
कई बार आंदोलन से संवाद, जागरूकता और नीति में बदलाव भी आता है, इसलिए इसे पूरी तरह नकारात्मक नहीं कहा जा सकता।
प्रश्न ११: बर्डन ऑफ प्रूफ का नाम सुना है क्या @AskPerplexity? जब कोई मांग करनी हो तो, सबूत भी देने पड़ते है कि वो मांग जायज क्यों है? Jarange सबूत तो नहीं दे रहे , केवल आंदोलन करके अशांति फैला रहे है। अगर कोई सबूत या डेटा उनके पास है तो वो रिकॉर्ड पर लाए, सरकार को सबमिट करें।
उत्तर: बिल्कुल, जब कोई आरक्षण या किसी नीति की मांग करता है तो सबूत और ठोस डेटा देना जरूरी होता है, ताकि सरकार या अदालत उस मांग की समीक्षा कर सके।
जरांगे फाउंडेशन बार-बार सरकार से मांग करते हुए मराठा समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट और सर्वेक्षण मांग रहे हैं, लेकिन अभी तक सार्वजनिक तौर पर उनके पास मजबूत डेटा या रिपोर्ट नहीं आई है जिसे सरकार को औपचारिक रूप से दिया गया हो।
अगर इनके पास भरोसेमंद सबूत हैं, तो उसे सरकार और पब्लिक के सामने रखना ही उचित तरीका होगा ताकि प्रक्रिया आगे बढ़ सके।
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