यह मैने सोशल मीडिया के माध्यम से पूछे प्रश्न है। आप भी पूरा थ्रेड पढ़ सकते है।
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प्रश्न १: हेलो @grok ब्लैक मनी के लिए क्या कानून भारत में लागू है?हेलो! भारत में ब्लैक मनी (अघोषित आय) के खिलाफ मुख्य कानून हैं:
- ब्लैक मनी एक्ट, 2015: विदेशी अघोषित आय/संपत्ति पर 30% टैक्स, 90% पेनल्टी, 7 साल तक जेल।
- इनकम टैक्स एक्ट, 1961: टैक्स चोरी पर जांच और सजा।
- PMLA, 2002: मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम।
- बेनामी ट्रांजैक्शन एक्ट, 1988: छुपी संपत्ति पर प्रतिबंध।
हालिया बदलाव (2025): ₹20 लाख तक की विदेशी संपत्ति (प्रॉपर्टी छोड़कर) पर पेनल्टी/प्रॉसीक्यूशन से छूट। विस्तार के लिए आधिकारिक साइट चेक करें।
प्रश्न २: ब्लैक मनी या विदेशी अघोषित आय से जुड़ी कोई बहुत बड़ी केस आजतक हुई है क्या? @grok
उत्तर: हां, भारत में ब्लैक मनी या विदेशी अघोषित आय से जुड़े कई बड़े केस हुए हैं। मुख्य उदाहरण:
- पनामा पेपर्स (2016): 500 भारतीयों के नाम, ऑफशोर कंपनियों से जुड़े।
- HSBC लीक्स (2015): 1,195 भारतीय खाते, ₹25,420 करोड़ शामिल।
- हसन अली केस: ₹60,000 करोड़ से ज्यादा विदेशी बैंकों में।
2025 तक ब्लैक मनी एक्ट के तहत 1,021 जांचों में ₹35,105 करोड़ टैक्स डिमांड। ज्यादा डिटेल के लिए इनकम टैक्स विभाग की साइट चेक करें।
प्रश्न ३: @grok क्या इन टैक्स डिमांड्स के पैसे रिकवर हुए है?
उत्तर: हां, आंशिक रूप से। मार्च 2025 तक ब्लैक मनी एक्ट के तहत ₹35,105 करोड़ की कुल डिमांड में से केवल ₹338 करोड़ रिकवर हुए हैं। कई केस अपील में लंबित हैं, जिससे रिकवरी धीमी है। ज्यादा जानकारी के लिए इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट देखें।
प्रश्न ४: @grok टैक्स डिमांड की रिकवरी के लिए चीन, रशिया, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान में क्या क्या और कितने कड़े प्रावधान है?
उत्तर: चीन: दैनिक 0.05% ब्याज, 5 गुना जुर्माना, 7 साल जेल। संपत्ति जब्ती। बहुत सख्त।
रूस: बैंक खातों से जब्ती, ब्याज, संपत्ति फ्रीज। आपराधिक सजा अगर न चुकाएं, लेकिन भुगतान पर छूट। सख्त लेकिन लचीला।
इंग्लैंड (UK): £1,000+ पर बैंक से सीधे रिकवरी, 100% जुर्माना, 20 साल सीमा। सख्त प्रत्यक्ष शक्तियां।
ऑस्ट्रेलिया: दैनिक ब्याज, 200% जुर्माना, संपत्ति जब्ती, क्रेडिट रिपोर्टिंग। बहुत सख्त।
जापान: 2.4-14.6% वार्षिक ब्याज, 10-35% अतिरिक्त कर, 10 साल जेल। कोर्ट के जरिए रिकवरी। सख्त।
विवरण के लिए आधिकारिक साइट्स चेक करें।
प्रश्न ५: क्या भारत का संविधान ऐसे कठोर कानून बनाने से रोकता है? @grok
उत्तर: नहीं, भारत का संविधान ऐसे कठोर कर वसूली कानून बनाने से नहीं रोकता। संसद को कर कानून बनाने का अधिकार है (अनुच्छेद 265, सातवीं अनुसूची)। कानून मौलिक अधिकारों (जैसे अनु. 14, 19, 21) का उल्लंघन न करें तो वैध हैं। उदाहरण: PMLA में संपत्ति जब्ती जैसे सख्त प्रावधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान्य। विस्तार के लिए कानूनी स्रोत चेक करें।
प्रश्न ६: जब भारत का संविधान कठोर कानून बनाने की शक्ति संसद को देता है, फिर भी इतनी बड़ी रकम की tax डिमांड की रिकवरी न होने के पीछे क्या कोई कोलोनियल पॉलिसी कारण है जो विद्यमान कानून में है? @grok
उत्तर: हां, कुछ हद तक। ब्रिटिश काल की नौकरशाही और कानूनी संरचना (जैसे लंबी अपील प्रक्रिया) आज भी टैक्स रिकवरी को प्रभावित करती है, जो Income Tax Act की जड़ें 1922 के औपनिवेशिक कानून में हैं। लेकिन मुख्य कारण आधुनिक हैं: न्यायिक देरी, संसाधन की कमी, और प्रवर्तन चुनौतियां। ज्यादा जानकारी के लिए इनकम टैक्स विभाग की रिपोर्ट देखें।
प्रश्न ७: इनकम टैक्स एक्ट के वो क्या प्रावधान है जो ब्रिटिश पॉलिसी पर आधारित है? @grok सभी प्रावधान की जानकारी संक्षिप्त में दीजिए जैसे सेक्शन नंबर।
उत्तर: इनकम टैक्स एक्ट 1961 मुख्यतः 1922 के ब्रिटिश एक्ट पर आधारित है। प्रमुख प्रावधान:
- से. 2: परिभाषाएं (1922 से. 2 से)
- से. 3: पिछला वर्ष (1922 से)
- से. 4: आयकर चार्ज (1922 से. 3 से)
- से. 6: निवास (1922 से. 4A/4B से)
- से. 143: मूल्यांकन (1922 चैप्टर IV से)
- से. 147: पुनर्मूल्यांकन (1922 से. 34 से)
- से. 246-251: अपील (1922 से. 30-33 से, लंबी प्रक्रिया)
- से. 271: जुर्माना (1922 से. 28 से)
ये कॉलोनियल नीतियों से प्रभावित हैं। विस्तार के लिए incometaxindia.gov.in देखें।
प्रश्न ८: क्या इन प्रावधानों के संशोधन का प्रयास कभी किसी संसद सत्र के हुआ है? @grok
उत्तर: हां, कई प्रयास हुए हैं। 2010 में डायरेक्ट टैक्स कोड बिल पेश किया गया, जो लैप्स हो गया। अगस्त 2025 में संसद ने इनकम टैक्स बिल 2025 पास किया, जो 1961 एक्ट को बदलता है, पुरानी प्रावधानों को हटाता और सरल बनाता है। लागू: 1 अप्रैल 2026। विस्तार के लिए PRS India देखें।
प्रश्न ९: क्या इस २०२५ के बिल में कोई भी ब्रिटिश पॉलिसी से उपजा प्रावधान नहीं है? @grok
उत्तर: नहीं, 2025 बिल में कई प्रावधान 1961 एक्ट से बरकरार हैं, जो 1922 के ब्रिटिश एक्ट पर आधारित हैं। यह मुख्यतः भाषा सरल करता है और अनावश्यक हिस्से हटाता है, लेकिन मूल संरचना (जैसे आय परिभाषा, मूल्यांकन) बनी हुई है। विस्तार के लिए आधिकारिक दस्तावेज़ देखें।
प्रश्न १०: नए इनकम टैक्स एक्ट 2025 (लागू: 1 अप्रैल 2026) के तहत पुरानी पेंडिंग टैक्स डिमांड की रिकवरी नए प्रावधानों से हो सकती है (से. 536), जो मजबूत रिकवरी उपाय प्रदान करता है, जैसे संपत्ति जब्ती। इससे रिकवरी तेज हो सकती है, लेकिन पुराने केस की कार्यवाही 1961 एक्ट के तहत जारी रहेगी। विस्तार के लिए PRS India का बिल देखें।
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