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Monday, 1 September 2025

ए आय संग वार्ता: आतंकवाद के खिलाफ नीतियां:

ए आय संग वार्ता: आतंकवाद के खिलाफ नीतियां:
प्रश्न १: आज #Terrorism ट्रेंड कर रहा है। तो बताओ @AskPerplexity भारत सरकार की आतंकवाद के खिलाफ क्या नई नीतियां है? खासकर उन नीतियों के बारे में बताइए जो पहलगाम हमले के बाद लागू की गई है।
उत्तर: पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ कई नई और सख्त नीतियां लागू की हैं। 
सबसे मुख्य कदमों में 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल स्ट्राइक, सिंधु जल संधि को तत्काल निलंबित करना, अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट बंद करना और पाकिस्तान के नागरिकों को 48 घंटे के अंदर भारत छोड़ने का निर्देश शामिल है।
इसके अलावा, 'ऑपरेशन महादेव' के जरिए कश्मीर में छिपे लश्कर के आतंकियों को मार गिराया गया, और सरकार ने साफ कर दिया है कि अब हर सीमा पार आतंकी हमला 'युद्ध की कार्रवाई' मानी जाएगी।
मोदी सरकार की नीति अब 'शून्य सहिष्णुता' और 'संयमित प्रतिशोध' (calibrated retaliation) पर आधारित है— यानी अब न सिर्फ कूटनीतिक, बल्कि रणनीतिक और सैन्य प्रतिक्रिया भी दी जा रही है।
इन कदमों से सरकार ने दुनिया को संदेश दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत अब बेहद निर्णायक और सक्रिय नीति अपना रहा है।
प्रश्न २: #Terrorism 
अच्छा @AskPerplexity ये बताइए ये ऑपरेशन महादेव क्या है? कितने आतंकी इसमें मारे गए है?
उत्तर: 'ऑपरेशन महादेव' हाल ही में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर में चलाया गया एक बड़ा अभियान है, जिसका मकसद खास तौर पर लश्कर-ए-तैयबा और उससे जुड़े आतंकियों को खत्म करना था। 
सरकारी रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन में करीब 19 आतंकी मारे गए हैं, जिनमें कई शीर्ष कमांडर भी शामिल थे।
यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के तुरंत बाद शुरू किया गया था और इसमें सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस तीनों की संयुक्त भूमिका रही।
प्रश्न ३: #Terrorism से निपटने के लिए भारतीय सेना को किस संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों के तहत आधिकारिक शक्तियां प्रदान की गई है? 
भारतीय सेना को आतंकवाद से निपटने के लिए मुख्य रूप से दो बड़े कानूनी प्रावधानों के तहत अधिकार दिए गए हैं— 'सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम' (AFSPA) और 'अवैध गतिविधि (निवारण) अधिनियम' (UAPA)। 
AFSPA के तहत सेना को आतंक प्रभावित क्षेत्रों में तलाशी, गिरफ्तारी, और जरूरत पड़े तो बल प्रयोग करने के विशेष अधिकार मिलते हैं, जबकि UAPA आतंकवादी गतिविधियों और संगठनों पर कार्रवाई करने की कानूनी ताकत देता है। 
इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 355 और 356 के तहत भी केंद्र सरकार राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना की तैनाती कर सकती है।
प्रश्न ४: भारत सरकार @mygovindia की शून्य सहिष्णुता नीति क्या है? #terrorismsupporter 
उत्तर: भारत सरकार की "शून्य सहिष्णुता नीति" का मतलब है कि आतंकवाद और उसके समर्थकों के खिलाफ बिल्कुल भी नरमी या बर्दाश्त नहीं रखी जाएगी। 
इस नीति के तहत, आतंकियों और उनके समर्थन में शामिल किसी भी व्यक्ति, संगठन या नेटवर्क के खिलाफ सख्त कानूनी, आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य कार्रवाई की जाती है, चाहे वे देश के अंदर हों या बाहर। 
सरकार का मुख्य संदेश यही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में अब किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी और आतंकवाद के हर रूप को पूरी ताकत से कुचला जाएगा।
प्रश्न ५: भारत सरकार की 'संयमित प्रतिशोध' नीति क्या है? @AskPerplexity #terrorists 
उत्तर: 'संयमित प्रतिशोध' नीति का अर्थ है कि भारत सरकार अब आतंकवादी हमलों का जवाब सोच-समझकर, संतुलित लेकिन कड़ा देगी—यानी हर प्रतिक्रिया योजनाबद्ध और परिस्थिति के मुताबिक होगी, बेमतलब या भावनाओं में आकर नहीं। 
इस नीति के तहत भारत हर आतंकी हमले के बाद रणनीतिक, सैन्य या कूटनीतिक कदम उठाता है, ताकि दुश्मन को यह अंदाजा न लग सके कि अगला कदम क्या होगा, और उसे अधिकतम नुकसान पहुंचे। 
यानी अब सरकार आतंकवाद का जवाब सिर्फ सख्ती से ही नहीं, बल्कि समझदारी और सही समय पर प्रभावी कार्रवाई के जरिए देती है।
प्रश्न ६: "सीमा पर आतंकी हमला 'युद्ध की कार्रवाई' मानी जाएगी।" इस नीति का अर्थ क्या है? इससे जुड़ी पॉलिसी का संपूर्ण विवरण क्या है? @AskPerplexity 
उत्तर: सीमा पर आतंकी हमले को 'युद्ध की कार्रवाई' मानने का मतलब है कि भारत अब ऐसे किसी हमले को सिर्फ आतंकी घटना नहीं, बल्कि देश के खिलाफ सीधा युद्ध समझेगा। 
इस नीति के तहत सरकार को पूरी छूट मिलती है कि वह सैन्य, कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर जवाबी कार्रवाई करे—जिसमें सीमा पार ऑपरेशन, मिसाइल स्ट्राइक, बॉर्डर सील करना, राजनयिक संबंधों में कटौती और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरे जाने जैसे कदम शामिल हैं। 
यह पॉलिसी दरअसल 'डिटेरेंस' यानी दुश्मन को रोकने के लिए बनाई गई है, ताकि आतंकवादी संगठनों और उनके समर्थक देशों को पता रहे कि अब कोई भी सीमा पार हमला अंजाम देने का नतीजा बेहद गंभीर और युद्ध जैसा ही होगा।
अब भारत सरकार ऐसे हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र, FATF जैसी संस्थाओं में भी कार्रवाई की मांग करती है, और अपनी सैन्य ताकत का इस्तेमाल तुरंत करने से भी नहीं हिचकती।
प्रश्न ७: क्यों सिंधु जल संधि को तत्काल निलंबित की गई? #TerrorsOfNowhere @AskPerplexity 
उत्तर: सिंधु जल संधि को तत्काल निलंबित करने का मुख्य कारण भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पार आतंकवाद और हाल के आतंकी हमले बताए जाते हैं। 
सरकार ने यह कदम दबाव बनाने और पाकिस्तान को सख्त संदेश देने के लिए उठाया, ताकि वह आतंकवाद का समर्थन खत्म करे; इसके तहत भारत को संधि के तहत मिलने वाले जल संसाधनों के प्रबंधन और नियंत्रण को भी रणनीतिक रूप से इस्तेमाल करने की छूट मिलती है। 
यह निलंबन हमेशा के लिए नहीं, बल्कि हालात सामान्य होने या पाकिस्तान का रवैया बदलने तक रहता है।
प्रश्न ८: अटारी बॉर्डर क्यों बंद किया गया? पहले अटारी बॉर्डर पर क्या होता था? @AskPerplexity 
उत्तर: अटारी बॉर्डर को बंद करने का कारण मुख्य रूप से भारत-पाकिस्तान के बीच सुरक्षा और कूटनीतिक तनाव है, खासकर जब सीमा पर आतंकी गतिविधियां या माहौल बिगड़ता है। 
पहले अटारी बॉर्डर पर यात्री और सामान की आवाजाही, व्यापार, और 'वाघा-अटारी' में रोज़ाना होने वाली झंडा उतारने की परेड जैसी गतिविधियां सामान्य रहती थीं, जिससे दोनों देशों के बीच सीमित संपर्क और सद्भावना बनी रहती थी। 
लेकिन जब हालात गंभीर हो जाएं, तब सरकार उस अस्थाई तौर पर बॉर्डर बंद कर देती है।
प्रश्न ९: क्या ऐसी सख्त नीतियां २०१४ के पहले भी भारत सरकार ने #आतंकवाद के खिलाफ लागू की थी? @AskPerplexity 
उत्तर: २०१४ के पहले भी भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए थे, जैसे २६/११ हमले के बाद कड़े आतंकरोधी कानून बनाना, सुरक्षा एजेंसियों को मजबूत करना और कई बड़े ऑपरेशन चलाना। 
लेकिन मौजूदा "शून्य सहिष्णुता" और "संयमित प्रतिशोध" जैसी स्पष्ट और आक्रामक नीति का फोकस व प्रतिक्रिया पहले की तुलना में कहीं ज्यादा तेज़, सार्वजनिक और निर्णायक मानी जाती है। 
यानी पुरानी सरकारें भी सख्ती दिखाती थीं, पर २०१४ के बाद नीतियों में और ज्यादा स्पष्टता और त्वरित कार्रवाई का रुख देखने को मिला है।
प्रश्न १०: इस विषय में @narendramodi जी ने हाल ही में SCO समिट में क्या बयान दिया है?
उत्तर: SCO समिट में पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया—उन्होंने साफ कहा कि आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड मंजूर नहीं है और सभी देशों को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए।  
उन्होंने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का भी ज़िक्र किया, इसे "भारत की आत्मा पर हमला" बताया और उन देशों की आलोचना की जो आतंकवाद को खुला समर्थन देते हैं—यह बातें पाकिस्तान के पीएम की मौजूदगी में कहीं।  
मोदी ने अपनी "SCO" की सोच के तीन स्तंभ भी बताए: सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर, साथ ही आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ को दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया।  
उन्होंने ज़ोर दिया कि भारत ने हमेशा आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ संघर्ष किया है, टेरर फंडिंग पर आवाज़ उठाई है, और क्षेत्रीय सहयोग के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।  
साथ ही, SCO समिट डिक्लरेशन में भी भारत के इस कड़े रुख का समर्थन करते हुए आतंकवाद पर कोई दोहरा रवैया न अपनाने की बात शामिल की गई है.

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