कितने हि तू ताले डाल
एक दिन तोडके पिंजरा, पंछी उड जाना। पंछी उड जाना ...
करले जतन हजार, पंछी उड जाना ॥ धृ ॥
महल धरे के धरे रहेंगे, धन दौलत सब पडे रहेंगे ।
साथ चलेगा कोई न तेरे, दूर दूर सब खडे रहेंगे ।
करले सोच विचार के पंछी उड जाना ।।
ईश्वर की कर भक्ति बंदे, छोड दे सारे पाप के धंदे ।
मोह माया की जाल सुनेरी, सब के सब फासी के फंदे ।
जपले कृष्ण मुरार के पंछी उड जाना ।।
करले कुछ तो नेक कमाई, आखीर तेरे काम ये आयी
लाख चौरासी जन्म भोगते, मानस देह तूने पायी
करता क्यु बेजार के पंछी उड जाना ।।
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