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Friday, 21 March 2025

कठासु आयो ये म्हारो जामण जायो बिरो




कठासु आई सुंठ कठासु आई जिरो 
कठासु आयो ये म्हारो जामण जायो बिरो 
दिल्लीसु आई सुंठ आग्रासु आयो जिरो 
द्वारकासु आयो ए म्हारो जामण जायो बिरो ||१ || 
कठे उतरी सुठ न कठे उतऱ्या जिरो 
कठे उतऱ्या ए म्हारो जामण जायो बिरो 
दुकाने उतरे सुठ बजारा उतरे जिरो 
बागामे उतरे ए म्हारो जामण जायो बिरो ॥२ ॥ 
कयामे चईजे सुठ क कयामे चईजे जिरो 
कयामे चईजे ए म्हारो जामण जायो बिरो 
चहामे. चईजे सुंठ बंगारा चईजे जिरो 
पंचामे चईजे ए म्हारो जामण जायो बिरो ॥३ ॥ 
काई देवे सुंठ न कोई देवे जिरो 
काई देवे ए म्हारो जामण जायो बिरो 
चरकास देवे सुंठ सुगंधी देवे जिरो 
माहेरो पेरावे ओ म्हारो जामण आयो बिरो ॥४॥

नोट: द्वारका की जगह मामाजी के गांव का नाम लेना।

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