Followers

Wednesday, 26 March 2025

यशवंतराव चव्हाण के जीवन के प्रेरक प्रसंग




1. बचपन में माँ का सबक (1913-1920, देवराष्ट्रे, महाराष्ट्र)
यशवंतराव का जन्म 12 मार्च 1913 को सांगली जिले के देवराष्ट्रे गाँव में हुआ। जब वे बहुत छोटे थे, उनके पिता का निधन हो गया। घर की हालत गरीबी की थी। उनकी माँ ने खेतों में मजदूरी करके उन्हें पाला। एक दिन माँ ने कहा, "बेटा, मेहनत और ईमानदारी से बड़ा कोई धन नहीं।" यशवंतराव ने यह बात दिल में बिठा ली। स्कूल में वे पैदल जाते, लेकिन पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी। उनकी माँ की मेहनत और सिखाई हुई बातें आगे चलकर उनके जीवन का आधार बनीं।
मोटिवेशनल संदेश: गरीबी बहाना नहीं, बल्कि मेहनत की प्रेरणा है। अगर मन में ठान लो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता रोक नहीं सकती।

2. जेल में भी हिम्मत नहीं हारी (9 अगस्त 1942, सातारा, महाराष्ट्र)
1942 में जब गांधीजी ने "भारत छोड़ो" आंदोलन शुरू किया, यशवंतराव ने सातारा में इसकी कमान संभाली। वे अंग्रेजों के खिलाफ भूमिगत आंदोलन चला रहे थे। पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और जेल में डाल दिया। जेल में हालात बहुत खराब थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वहाँ वे किताबें पढ़ते और साथियों को देशभक्ति के गीत सिखाते। 1943 में जेल से छूटने के बाद भी उनकी देशसेवा की आग कम नहीं हुई।
मोटिवेशनल संदेश: मुश्किलें चाहे कितनी भी बड़ी हों, हिम्मत और उम्मीद से हर जंजीर तोड़ी जा सकती है।

3. किसानों के लिए सहकारी कारखाने (1960-1962, महाराष्ट्र)
1 मई 1960 को यशवंतराव महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री बने। उस समय गाँवों के किसान गरीबी में थे। उनकी जिंदगी बदलने के लिए यशवंतराव ने सहकारी साखर कारखानों की शुरुआत की। दो साल में 18 कारखाने खड़े कर दिए। एक बार एक किसान ने उनसे कहा, "साहब, अब हमारी गन्ने की फसल बेकार नहीं जाती।" यह सुनकर उनकी आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उनके इस कदम से लाखों किसानों को सम्मान और रोजगार मिला।
मोटिवेशनल संदेश: दूसरों की मदद करने से जो खुशी मिलती है, वही जिंदगी का असली मकसद है। छोटा कदम भी बड़ा बदलाव ला सकता है।

4. युद्ध के समय देश की रक्षा (21 नवंबर 1962, नई दिल्ली)
1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ। उस समय देश की सेना हार रही थी और मनोबल टूट रहा था। 21 नवंबर 1962 को यशवंतराव को रक्षा मंत्री बनाया गया। उन्होंने फौरन सेना के ठिकानों का दौरा किया। सैनिकों से मिले और कहा, "हम हार नहीं मानेंगे।" उनके नेतृत्व में सेना ने हिम्मत जुटाई और रक्षा व्यवस्था को मजबूत किया। उनकी सूझबूझ से देश संकट से बाहर निकला।
मोटिवेशनल संदेश: मुश्किल वक्त में हौसला दिखाओ, क्योंकि सच्चा नेता वही है जो संकट में डटकर सामना करे।

5. शिक्षा का सपना पूरा किया (23 जनवरी 1958, औरंगाबाद, महाराष्ट्र)
यशवंतराव मानते थे कि शिक्षा से ही समाज बदलेगा। जब वे द्विभाषिक मुंबई राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने मराठवाडा विश्वविद्यालय की नींव रखी। 23 जनवरी 1958 को इसका उद्घाटन हुआ। बाद में, 18 नवंबर 1962 को कोल्हापुर में शिवाजी विश्वविद्यालय भी शुरू किया। एक बार एक छात्र ने उनसे कहा, "आपके कारण हमें पढ़ने का मौका मिला।" यह सुनकर वे भावुक हो गए। उनकी कोशिशों से गाँव के बच्चों को भी उच्च शिक्षा मिली।
मोटिवेशनल संदेश: सपने वो नहीं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, बल्कि वो हैं जो दूसरों की जिंदगी बदल दें। मेहनत से अपने सपने सच करो।

No comments:

Post a Comment

नितेश तिवारी की रामायण

🚨 #RamayanaGlimpseTomorrow 🚨   नितेश तिवारी की रामायण का ग्लिम्प्स कल, 3 जुलाई 2025 को रिलीज़ हो रहा है, लेकिन रणबीर कपूर (राम) और साई पल्...