(तर्ज - मै तो भुलचली...)
मै तो पुजूंगी गौरी - गणेश
गजानंद प्यारा लागे ॥धृ ॥
मंदीर में देखी है तुम्हारी ये मुरत
सबसे निराली अलबेली ये सुरत
हो...... गड रणक तुम्हारा गांव
गजानंद प्यारा लागे
भोग लगाऊ लड्डू मेवा चढाऊ
पिता शंकर को ध्याऊ, माता गौरी मनाऊ
हो.... रिध्दी-सिध्दी के दाता भंडार
गजानंद प्यारा लागे
आंगण मे म्हारो बिनायक बिठायो
सब देवन को न्योत्यो दीरावो
हो ... गौरी गणेश सुधारे है काज ...
गजानंद प्यारा लागे
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