बनडी बैठी गजाननं पास, गजानन पुरी करना आस,
म्हारा मनडा मे लागी एक आसजी
म्हारो अखंड राखजो सवागजी ॥धृ ॥
म्हारा चुंदड लालम लाल
उसपर तारो की बहार
म्हारी चुंदड रो रंग कधीयन जायजी म्हारो अखंड ॥१ ॥
म्हारी मेहंदी राचनदार
जीजसे मांड्या दोन्हो हात
म्हारी मेहंदी रो रंग कधीयन जायजी ॥२ ॥
हात कंगना की खणकार,
पावा पायल की झणकार
म्हारी मांग री सींदूर कधीयन जायजी .. ॥३॥
जैसे सियाराम की जोडी
वैसे बना-बनी की जोडी
म्हारी जोडी से अमर सुहागजी
म्हारो राखीजो अखंड सुहागजी ॥४ ॥
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