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Monday, 13 January 2025

माँ शाकम्बरी की कहानी


माँ शाकम्बरी की कहानी बहुत ही रोचक और धार्मिक महत्व की है। यह कथा हिंदू धर्म के पुराणों, विशेषकर देवी भागवत पुराण और वामन पुराण में मिलती है। यहाँ है माँ शाकम्बरी की कहानी:


कहानी का सारांश:

एक बार देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। दानवों का राजा धुंधकर ने धरती पर अकाल की स्थिति उत्पन्न कर दी, जिससे पृथ्वी पर सारा हरियाला नष्ट हो गया। फल, फूल, और सब्जियाँ सब धुंधकर के क्रोध से बर्बाद हो गए। लोग भूख से त्रस्त थे।

देवताओं ने माँ दुर्गा से सहायता मांगी। माँ दुर्गा ने अपने एक रूप, शाकम्बरी देवी के रूप में प्रकट होकर धुंधकर का वध किया। शाकम्बरी का अर्थ है "सब्जियों की देवी"। उन्होंने अपने शरीर से हर तरह की सब्जियाँ, फल और फूल निकाले, जिससे पृथ्वी फिर से हरी-भरी हो गई।

माँ शाकम्बरी ने अपनी शक्ति से पृथ्वी को पुनर्जीवित किया और भक्तों को भोजन का उपहार दिया। इस प्रकार, उनका नाम शाकम्बरी पड़ा क्योंकि वे "शाक" (सब्जियों) की रक्षक हैं। वे प्रकृति और पोषण की देवी के रूप में पूजी जाती हैं।

महत्व:

शाकम्बरी जयंती: इस दिन माँ शाकम्बरी की पूजा की जाती है, जो आमतौर पर माघ महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। भक्त उनकी पूजा करते हैं, उपवास रखते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के शाक-सब्जियों का भोग लगाते हैं।
पर्यावरण का संरक्षण: यह कथा पर्यावरण के संरक्षण का भी संदेश देती है। माँ शाकम्बरी की पूजा प्रकृति के प्रति सम्मान और हरियाली को बनाए रखने की भावना को प्रोत्साहित करती है।

इस प्रकार, माँ शाकम्बरी की कहानी मानवता के पोषण, प्रकृति के संरक्षण और देवी के अनंत रूपों की शक्ति को दर्शाती है।

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