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Monday, 13 January 2025

केवलज्ञान प्राप्ति की कहानी


भगवान धर्मनाथ, जैन धर्म के पंचम तीर्थंकर, के केवलज्ञान प्राप्ति की कहानी कुछ इस प्रकार है:

भगवान धर्मनाथ ने एक राजकुमार के रूप में जन्म लिया था। उनका जन्म एक समृद्ध और शक्तिशाली राजा के परिवार में हुआ था। नामकरण के समय, उन्हें धर्मनाथ नाम दिया गया क्योंकि उनके जन्म के साथ ही धार्मिकता और ज्ञान की भावना स्पष्ट थी। 

धर्मनाथ का बचपन सुख-सुविधाओं में बीता, लेकिन उनके मन में सदैव ज्ञान की खोज और आध्यात्मिकता की लालसा रहती थी। एक दिन, उन्होंने संसार की अस्थिरता और दुख को देखकर घर-गृहस्थी का त्याग कर दिया और एक साधु के रूप में जीवन जीने का निर्णय लिया। वे जंगलों में चले गए और तपस्या में लीन हो गए।

अपनी कठोर तपस्या के दौरान, धर्मनाथ ने अनेक कष्ट सहे। उन्होंने अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए बहुत से व्रत और नियमों का पालन किया। उनकी तपस्या की तीव्रता और शुद्धता ने अंततः उन्हें केवलज्ञान प्राप्त करने की योग्यता दी। 

केवलज्ञान की प्राप्ति का वह दिन आया, जब धर्मनाथ ने मेदी तीर्थ पर तपस्या करते हुए, एक पेड़ के नीचे ध्यान में बैठे, समस्त ज्ञान को प्राप्त किया। इस दिन को 'केवलज्ञान दिवस' के रूप में मनाया जाता है। धर्मनाथ ने अपनी समस्त अज्ञानता को दूर कर दिया और उन्हें संपूर्ण ज्ञान, जो कि ज्ञान की अंतिम सीमा है, प्राप्त हुआ।

इस केवलज्ञान के साथ, भगवान धर्मनाथ ने जीवों को मोक्ष का मार्ग दिखाना शुरू किया। उन्होंने धर्म और अहिंसा के सिद्धांतों को प्रतिपादित किया और अनेक शिष्यों को ज्ञान की दीक्षा दी। उनका ज्ञान प्राप्ति का दिन जैन समुदाय में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, जिसमें उनके जीवन और शिक्षाओं की स्मृति में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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