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Saturday, 7 September 2024

व्हाट्सअप

अस्वीकरण

यह कहानी कल्पना का कार्य हैं। इस कहानी का किसी भी व्यक्ति या समुदाय से कोई संबंध नहीं हैं। 


कॉलेज के व्हाट्सअप ग्रुप बन गया था। सबके फोन नंबर ग्रुप के माध्यम से एक दूसरे को पता चल गए थे। ग्रुप मे कोई भी प्रोफेसर शामिल न थे इसीलिए जो जैसी मर्जी आए वैसी बात कर सकता था। 

शामली भी ग्रुप मे थी और साजिद भी था। शामली रंग से काली थी पर उसकी आखे गजब की सुंदर थी और इसी कारण लड़कों मे आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। सलमा भी ग्रुप मे थी। 

साजिद और सलमा अक्सर क्लास मे भी बात करते थे। कई बार साथ मे अपने गाव भी जाते थे, दोनों एक ही गाव के थे इसीलिए। शामली सलमा से कहती थी, "सलमा का अच्छा हैं, गाव साथ आने जाने के लिए सादिक जैसा लड़का हैं, सामान भी उठा देता होगा और घर तक भी पोहोचाता होगा।" 

बात कई बार कही गई तो एक दिन सलमा ने सादिक को बता दी। सादिक ने कहा, "शामली कहे तो उसका भी सामान उठा लू। उसके साथ उसके घर पर भी चला जाऊ। मुझे कोई दिक्कत नहीं हैं।" अब सलमा के पेट मे ये बात कहा पचती, उसने आकार ये शामली को बता दिया। शामली ये सुनकर अलग ही खयाली पुलाव पकाने लगी। 

फर्स्ट सेमिस्टर के इग्ज़ैम हुए और छुट्टियाँ लग गई। सब लोग अपने घर चले गए थे। रिजल्ट आने तक छुट्टियाँ थी। फिर एक दिन सादिक ने कॉलेज ग्रुप मे मैसेज डाला 

फुर्सत मिले तो दोस्तो का हाल भी पूछ लिया करो दोस्तो,

जिसके सीने में दिल की जगह तुम लोग धड़कते हो !!

मैसेज पढ़ कर सब ने अपने अपने हिसाब से जवाब दिया। कुछ लोगों ने रीऐक्ट किया तो कुछ ने शायरी लिखी। मैसेज का सिलसिला सबेरे से रात तक चलता रहा। उतने मे सलमा ने मैसेज डाला 

लोग कहते हैं, ढूंढने से सच्चा प्यार मिल जाता है।।

मुझे  तो सच्चे लोग ही मिल जाए, मेरे लिए काफी है।।

मैसेज पढ़ ग्रुप मे हलचल मच गई। सबने पुछा "क्या हुआ सलमा?" पर कोई जवाब नहीं मिला। रात बीत गई और अगली सुबह शामली ने देखा की सादिक का उसे पर्सनल मैसेज आया हैं। मैसेज मे लिखा था। 

तबाह कर डाला तेरी आँखों की मस्ती ने!

हज़ार साल जी लेते अगर तेरा दीदार ना किया होता तो!!

अलग ही खयाली पुलाव पहले ही शामली के मन मे पक रहा था। आज सादिक का ऐसा मैसेज देख कर वो असंजस मे मुस्कुराने लगी थी। पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। 

अगले दिन फिर से मैसेज आया जिसमे शामली की आखों की तारीफ के पुल बांधे जा रहे थे। आठ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। शामली ने अपनी सहलियों को ये सब दिखाया। तो उसमे से एक ने कहा 

आँखें 'दो' ही, सुख देती हैं, 'चार' ना करना, दु:ख देती हैं

पर प्यार की पट्टी आखों पर पड़ी हो तो कहा कुछ दिखाई देता हैं। खयालों खयालों मे सादिक को दिल दे बैठी शामली ने नाइस एमोजी भेजकर अब जवाब दिया। बाते हुई। और शायरी का सिलसिला आगे बढ़ता गया। दोनों के बीच जो भी बाते होती शामली अपनी सहेलियों को अक्सर बता देती थी। बातों बातों मे सलमा तक हकीगत पोहोच गई थी। सलमा ने ग्रुप मे मैसेज डाला 

कीमतें गिर जाती है अक्सर खुद की, किसी को बहुत ज्यादा  कीमती बनाकर अपना बनाने में।।

कई लोगों को इसका मतलब ही नहीं समझा। पर सादिक समझ गया था की सलमा ने किसके लिए कहा था। उसने सलमा को मैसेज किया, "तुम मेरे गाव की हो। आते जाते हमारी चार बाते हुई तो तुमने मेरे बारे मे कुछ और ही सोच लिया। जानती हो न की तुम्हारे घर का पानी भी हम उचे लोग नहीं पीते।" असल मे सलमा निचले फिरके की थी और सादिक उचे फिरके का था। सलमा को यह बात बुरी लगी। 

दिन ब दिन सादिक और शामली की बातें नए नए आयाम छूने लगी थी। दूसरी तरफ कॉलेज भी फिर से शुरू हो गया था। दोनों इशारों इशारों मे क्लास मे भी बाते करते थे। सलमा ये देख परेशान रहने लगी थी। सलमा सादिक से एकतरफा प्यार करने लगी थी पर सादिक ने दोनों के बीच फिरके की दीवार खड़ी कर दी थी। सलमा ने एक दिन सादिक को लिखा, 

इतनी उदास कब थी मेरी कलाई की चुडियां,

ढीली हो गई है अब ये तेरी जुदाई में चुडियां।

पर सादिक को केवल शामली दिख रही थी। न जाने क्यू शामली ही सादिक को चाहिए थी इसीलिए उसने एक दिन शामली को मैसेज किया 

अदा से, इशारे से, युँ प्यार जता जाना

लाज़मी था सनम तेरा दिल मे समा जाना

बहुत सारी हार्ट एमोजी के साथ इस मैसेज को पढ़कर शामली मन ही मन शर्मा गई थी। और उसने जवाब मे पूछा, "इस शनिवार कही बाहर चलते हैं?" 

सादिक को इसी बात का इंतजार था। वैसे हर शुक्रवार सादिक सलमा के साथ अपने गाव जाता था। पर शामली के साथ शनिवार की डेट फिक्स होने के कारण उसने घर पर पढ़ाई का बहाना बता कर नही गया। सलमा बस शुरू होने तक राह देखती रही। उससे रहा नही गया तो उसने सादिक को मैसेज किया, "तुम आ रहे हो या नहीं?" पलटकर सादिक ने जवाब दिया, "तुम अपनी हद मे क्यू नहीं रहती? तुम आखिर कौन होती हो मुझे रोकने वाली?" ये पढ़कर सलमा का दिल टूट गया। और वो गुमसुम रहने लगी। 

इधर शनिवार और रविवार दोनों दिन सादिक शामली को लेकर अलग अलग जगह घूमता रहा। हफ्ता बीत गया फिर से शनिवार आने को था। सादिक अबकी बार घर गया। सलमा उसे अपने साथ बस मे देखकर खुश थी। 

ऐसे ही दूसरा सिमेस्टर भी खत्म हो गया और इग्ज़ैम के बाद रिजल्ट आने तक सब लोग अपने अपने घर चले गए थे। हर रोज शामली और सादिक व्हाट्सअप पर चैट करते रहते। प्यारभरी शायरी का ढेर दोनों ने लगा रखा था। और एक दिन सादिक ने वॉइस मैसेज भेजा 

शामली यार 

बेवजह हो गयी तुमसे इतनी मुहब्बत

चलोअब वजह बन जाओ जीने की

नहीं तो मैं मार जाऊंगा 

ये सुन शामली सातवे आसमान मे उड़ने लगी। कॉलेज फिर से शुरू हो गया। एक दिन घूमते समय सादिक ने गुलाब का गुलदस्ता देकर शामली को पुछा 

मुझे वो रिश्ता चाहिए है, जिसमें मैं या तुम ना हो बस हम हो

शामली ने शरमा कर हा कर दिया। ये सब सलमा अपनी आखों से देख रही थी पर कुछ नहीं कर पाई। 

दोनों की मुलाकातों का सिलसिला अब और भी बढ़ गया था। पूरे कॉलेज को पता था की ये दोनों लव बर्ड्स हैं। सलमा ने भी ये बात पूरे गाव मे फैला दी थी की सादिक का किसी लड़की के साथ चक्कर चल रहा हैं। सादिक के घर पर इस बात पर चर्चा हुई। पहले सादिक को डर लग रहा था। फिर उसके दादा ने कहा "सादिक बेटा तुमने बड़ा नेक काम किया हैं। उस लड़की को हमारे रीति रिवाजों मे अपने प्यार से रंग दो। उसे हमारे फिरके की अदब और सादगी भी सिखाओं।" अपने दादा की ये बात सुनकर सादिक मे एक नया जोश आ गया था। वो उसी जोश के साथ कॉलेज वापस लौट आया। 

सादिक के गाव के नियमों के अनुसार उचे फिरके वाले लोग अपनी जो मर्जी मे आए कर सकते थे। नीचे फिरके वाले लोगों को उनकी हर बात माननी पड़ती थी। और ये नियम सलमा पर भी लागू था। सेकंड ईयर चल रहा था। कई सारे असाइनमेंट लिखने पड़ते थे। सादिक और शामली को घूमने मे ही दिलचस्पी थी तो सादिक गाव के नियमों का डर बता कर सलमा से अपने और शामली के असाइनमेंट लिखवा लेता था। 

सादिक को दादाजी ने कहा था वैसे अपने रीति रिवाजों की तालिम शामली को देनी थी, तो उसका पूरा ध्यान उसी बात पर था। वो उसे अपनी प्रार्थना पद्धति से लेकर रहन सहन और खान पान की जानकारी देने लगा था। और इधर सलमा के हाथ सादिक और शामली की चाकरी कर घिस गए थे। सलमा के मन मे कही न कही बदले की भावना जग चुकी थी, पर वो कुछ नहीं कर सकती थी। 

कॉलेज मे एक प्रोफेसर थे जो ऐसे प्रेम प्रकरणों के सख्त खिलाफ थे। शामली और सादिक के बारे मे सलमा ने उनको सबकुछ बता दिया था। प्रोफेसर साहब ने मामले की गंभीरता को ध्यान मे रखते हुई अन्य महिला प्रोफेसर की मदत से शामली को समझाने का कयास किया। पर शामली सादिक के प्यार मे पूरी तरह से अंधी हो चुकी थी। और वो कपड़े भी सादिक के सिखाए अंदाज मे पहनने लगी थी। बात करने का ढंग भी बदल गया था। आखिर मे प्रोफेसर ने कहा, "रिश्तों में निखार सिर्फ हाथ मिलाने से नहीं आता, विपरीत हालातों में हाथ थामे रहने से भी आता है !!" शामली ये कह कर पैर पटकते हुए चली गई की, "सादिक जैसा कोई और नहीं हैं। शादी करूंगी तो सादिक से ही करूंगी।"

अगले दिन वह सादिक को लेकर मेरेज रेजिस्ट्रार के कार्यालय जाकर विवाह पंजीकरण की अर्जी दी। बात शामली के घर तक गई। शामली की माँ ने रो रो कर शामली के पैर पकड़ लिए पर प्यार मे अंधी शामली को कुछ नही सुनाई दे रहा था। एक महीने के बाद शामली और सादिक का रजिस्टर मेरेज हो गया। शामली सादिक के साथ अपने ससुराल आ गई थी। 

पर अब शामली की सही कसौटी शुरू हो गई थी। कॉलेज मे प्यार भरी बातें करने वाला सादिक अपने दादा के शब्द के बाहर बिल्कुल नही जाता था। दादा के हुक्म पर शामली की पढ़ाई बंद करा दी गई थी। शामली को घर के काम करने के लिए दिन रात सुनाया जाने लगा था। शामली से उसका फोन भी ले लिया गया था। 

उधर शामली के बेबस माँ बाप ने उससे पूरा नाता तोड़ दिया था और उसे मृत घोषित कर दिया था। शामली के लिए अपने ही घर के दरवाजे बंद हो गए थे और मीठी मीठी बातें करने वाला सादिक अचानक से गुस्सेल हो गया था। दिन तानों से शुरू होता था और घर के किसी कोने मे मार खा कर खत्म होता हैं। शामली की एक जिद ने उसकी जिंदगी को नरक बना दिया था। 

एक दिन सादिक सलमा को अपने घर ले आया और अब सलमा सादिक की जोरू थी। गाव के प्रार्थनास्थल मे सादिक ने गाव के रिवाजों के हिसाब से शादी कर ली थी। अब सलमा घर की लाड़ली बहु थी और शामली नौकरानी बन गई थी। शामली ने सादिक की इस हरकत पर सवाल उठाया तो उसे बहुत पीटा गया। 

सादिक अपनी सुहागरात मनाने कमरे मे चला गया। रात गहराती गई और आधी रात को सादिक के दादा ने शामली को छेड़ना शुरू किया। शामली ने शोर मचाया तो सादिक के पापा और दो भाई बाहर आ गए। चारों ने मिलकर शामली को कस के पकड़ लिया और दादा ने कहा, "अब तू सादिक को भूल जा और हमारी सेवा कर। तो ही इस घर मे चैन से रह पाएगी।" बेबस शामली की इज्जत तार तार होती रही पर न उसकी सास बाहर आई न सलमा बाहर आई। ये अब रोज का हो गया था। कभी कोई मेहमान भी आया तो वह भी शामली के मजे लेता था। 

बस यही अब शामली की जिंदगी बन गई थी।


Friday, 6 September 2024

राहुल

अस्वीकरण: यह कहानी केवल कल्पना का कार्य हैं। किसी भी व्यक्ति अथवा समुदाय से इसका कोई संबंध नहीं हैं। 

राहुल हर रोज उठता और ऊपरवाले को याद कर ये ताना मारता:

क्या पानी पे लिखी थी मेरी तकदीर मेरे मालिक,

हर ख्वाब बह जाते है मेरे रंग भरने से पहले!!

राहुल आठवी क्लास तक होनहार स्टूडेंट था। फिर उसके क्लास मे शाहरुख आया। दोनों की दोस्ती हो गई। 

शाहरुख की बात ही अलग थी। लड़कियाँ उसके आस पास मंढराती थी जैसे मानो वो अकेला ही लड़का हो पूरी स्कूल मे। शाहरुख के आस पास लड़कियाँ रहती थी इसीलिए तो बाकी लड़कों ने उसके साथ दोस्ती बना रखी थी की किसी दिन शाहरुख भाई सेटिंग करा देंगे। पर गोरी चमड़ी का शाहरुख कहा किसी की सेटिंग कराता था वो तो बस सब को एक झूठी आस देता था की सेटिंग हो जाएगी। 

लड़कियाँ भी न जाने उसमे क्या देखती थी। क्लास की सबसे सुंदर लड़की उर्मिला, जो पहली कक्षा से राहुल के साथ पढ़ती वो भी शाहरुख के साथ दोस्ती कर बैठी थी। राहुल को उर्मिला बहुत पसंद थी। पर कभी कहने के उसने हिम्मत नहीं जताई। दिन बीतते गए। राहुल, शाहरुख और उर्मिला दसवी मे आ गए। बोर्ड की पढ़ाई को लेकर राहुल बहुत सीरीअस था और अच्छे से पढ़ भी रहा था। हर सब्जेक्ट मे उसे अच्छे मार्क्स मिलते थे, ये देख उर्मिला उससे प्रभावित हो गई और दोनों की दोस्ती मे एक नया आयाम जुड़ गया। 

बोर्ड मे अच्छे मार्क्स मिलने के बाद, शाहरुख, उर्मिला और राहुल ने आगे मेडिकल एन्ट्रन्स की पढ़ाई हेतु नए क्लासेस भी जॉइन कर लिए थे। तीनों साथ मे ही जाते थे। एक साल कहा गया पता ही नहीं चला। शाहरुख ने बारहवी की शुरुआत मे ही उर्मिला को प्रपोज कर दिया था। खुले विचारों वाली उर्मिला ने उस पर प्रस्ताव को अपना भी लिया। पर दोनों ने इस बात के बारे मे राहुल को भनक तक न लगने दी। राहुल अपनी पढ़ाई मे व्यस्त था। भले ही उसे सरकारी नीति के अनुसार आरक्षण मिल रहा हो फिर भी घर के हालात के अनुसार उसे अच्छे मार्क्स लेकर सरकारी कॉलेज मे ही अड्मिशन चाहिए था इसीलिए वो अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर ही दे रहा था। 

भले ही उसे उर्मिला बहुत पसंद थी लेकिन फिर भी उसने अपने मन को समझाया और वो इस विषय से दूर ही रहता था। ऐसे ही बारहवी के भी बोर्ड इग्ज़ैम हो गए और मेडिकल एन्ट्रन्स भी हो गई। राहुल ने ठान रखा था की मेडिकल एन्ट्रन्स के रिजल्ट के बाद वो अपनी बात उर्मिला को बताएगा। 

पर इधर शाहरुख और उर्मिला हर रोज कई घंटों तक आपस मे बाते करते थे, कई बार बातें अश्लीलता से भी भरी होती थी। तो कई बार उर्मिला और शाहरुख अकेले मे किसी सुनसान जगह भी घूमने चले जाते थे और प्रेमी जोड़ा जवानी के ताल मे वही करें जो नहीं करना चाहिए। 

बस उर्मिला के साथ शाहरुख मजे कर रहा था और उधर रिजल्ट की राह देखने वाला राहुल हर रोज उर्मिला को प्रपोज करने की प्रैक्टिस कर रहा था। रिजल्ट आया। राहुल का रैंक भी अच्छा आया। मन लायक सरकारी मेडिकल कॉलेज मे अड्मिशन भी मिल रही थी। इधर शाहरुख और उर्मिला की रैंक बहुत घटिया आई थी। इस बात पर से उर्मिला और शाहरुख मे झगड़े हो गए। 

रिजल्ट के अगले दिन खुशी खुशी राहुल तैयार होकर गुलाबों का गुलदस्ता और लव लेटर लेकर उर्मिला को मिलने उसके घर गया। उसने बड़ी शांति से अपनी बात उर्मिला के समक्ष रखने के लिए उसे एक रेस्टरेन्ट ले गया, और अपनी बात रख दी। उर्मिला संभ्रम मे थी की क्या करें राहुल को अपनाए या शाहरुख के पास लौट जाए जिसके साथ जवानी के फल को चखा था? उर्मिला ने राहुल से थोड़ा समय मांग लिया और वो घर लौट आई। 

घर लौटते समय उसे शाहरुख ने रोक कर कुछ चैट के स्क्रीनशॉट बताए और उनके प्यार भरे लम्हों के विडिओ भी बताए। आगे शाहरुख ने उर्मिला से कहा, "मुझे पता हैं तू उस घटिया राहुल को मिलकर आ रही हैं। मैं तो स्कूल से जनता था की वो तुझपर लट्टू हैं पर डरपोक मे तुझे बताने की हिम्मत नहीं थी। सेटिंग के लिए मुझ से दोस्ती की थी, पर मुझे किसी की सेटिंग से क्या लेना देना, लड़कियों के साथ प्यार का नाटक करने के लिए मुझे तो पैसा मिलता था और लड़कियों की और लड़कों से सेटिंग कराने के भी पैसे मिलते थे। मैं तो अपना पैसा देख रहा था। तुझे भी पैसों के लिए ही फसाया था।"

ये सुन उर्मिला के होश उद गए और वो हकलाने लगी, इसके पहले की वो कुछ बोलती, शाहरुख ने गरज कर कहा, "अगर उस राहुल को हा कहा तो ये सब स्क्रीनशॉट और विडिओ वाइरल कर दूंगा। इसीलिए जैसा बोल रहा हूँ वैसा करना। समझ गई।"

डरी हुई उर्मिला को वैसा ही सुबकता हुआ छोड़ कर शाहरुख अपनी मोटर साइकल पर चला गया और भारी तन मन से उर्मिला अपने घर पर आई। उसका रिजल्ट खराब आया हैं इसीलिए वो परेशान हैं ऐसा समझकर उसकी बहन ने कहा "उर्मिला सब ठीक हो जाएगा। एक और अटेम्प्ट दे देना।" पर घर मे किसी को क्या पता की उर्मिला तो लूट गई एक बदर्दी के हाथों। 

अगले दिन से हर रोज शाहरुख का फोन आता और उर्मिला को उसके पास जबरदस्ती जाना पड़ता। एक दिन शाहरुख ने उर्मिला को एक बगीचे मे बुलाया। वहा राहुल को भी बुलाया। राहुल के पहले उर्मिला वहा आ गई थी और राहुल को आता देख शाहरुख ने दाव खेला, उर्मिला को वह चूमने लगा। ये देख राहुल हक्काबक्का रह गया और इसके पहले की वो कुछ बोलता, शाहरुख ने कहा, "तुझ से ये कभी सेट नहीं हो सकती। हम दोनों के बीच वो सबकुछ हो गया हैं जो प्रेमी करते हैं। हैं न उर्मिला?" ऐसा कहकर शाहरुख ने उर्मिला के कमर मे हाथ डाल उसे जोर से चिमटी निकाली। उर्मिला समझ गई थी की उसे शाहरुख के हा मे हा मिलाना पड़ेगा नहीं तो शाहरुख कुछ भी कर सकता हैं। 

ये सब देखकर बिना कुछ बोले राहुल वहा से चला गया। उसके मन मे एक ही खयाल बार बार आ रहा था 

टूट जाते है बिखर जाते हैकांच के घर में मुकद्दर अपने,

अजनबी तो सदा प्यार से मिलते है, भूल जाते है तो अक्सर अपने

वो बार बार ये सोचने लगा की कब उर्मिला जैसी साधारण लड़की इतनी बोल्ड हो गई की सीमाये लांघ कर वो सबकुछ कर बैठी जिसमे उसे ही तकलीफ होंगी। उर्मिला का एक अनजाना रूप उसने देख लिया था। 

इधर उर्मिला घर आई। उसे समझ गया था की शाहरुख उसके लायक नहीं हैं पर उसके पास कोई रास्ता भी नहीं था शाहरुख के इशारों पर नाचने के अलावा। शाहरुख उसे ब्लैकमेल करने लगा और मन चाही जगह पर हर रोज बुलाने लगा। वो हर रोज सोचती 

छाले पैरों के अक्सर पूछा करते है हमसे ये

क्यूँ जाते हो उससे मिलने तुम जिसे तुम्हारी जरूरत नहीं

इधर राहुल अपने टूटे दिल के साथ खुद को समझाने लगा और मेडिकल कॉलेज मे जाने की तैयारी करने लगा था। पर ये घाव इतनी आसानी से नहीं भरने वाला था। 

एकदिन शाहरुख ने उर्मिला को एक होटल मे बुलाया। उर्मिला को आना ही पड़ा। शाहरुख ने होटल मे कमरा बुक कर रखा था। उर्मिला अठारह साल पूरे कर चुकी थी इसीलिए उस होटल मे रुकने के लिए उसको कोई रोकटोक नही हुई। उर्मिला एक जिंदा लाश की तरह होटल के कमरे मे गई। शाहरुख ने रूम को गुलाबों से सजा कर रखा था। उर्मिला ने पूछा ये क्या हैं, "शाहरुख ने कहा आज मेरा जन्मदिन हैं और आज तुम मुझे जो चाहिए वो दोगी, मना नहीं करोगी।" 

उर्मिला के पास और कोई रास्ता भी न था। शाहरुख ने रूम मे हिडन कैमरा लगा रखे थे। उर्मिला के साथ उसने पहले गंदी फिल्म देखी और फिर दोनों के बीच उस फिल्म का सीन फिर से बना। ये सब रिकार्ड हो गया था। फिर शाहरुख ने उर्मिला को पानी पिलाया जिसमे बेहोशी की दवा मिली थी। उर्मिला के बेहोश होने के बाद शाहरुख ने किसी को फोन किया और फिर उसके कई साथी वहा आ गए। उसके साथियों मे एक भी उसके उम्र का लड़का नहीं था, सभी के सभी अधेड़ उम्र के आदमी थे। तीन आदमी थे। फिर तीनों ने बेहोश उर्मिला के बदन का बड़े चाव से मजा उठाया। चौथी बार शाहरुख करने जा ही रहा था की उर्मिला की बेहोशी टूटी। 

उर्मिला ने देखा शाहरुख के साथ साथ उसके सामने तीन आदमी अधनंगी हालत मे बैठे हैं और उसके बदन पर एक दुपट्टा तक नहीं हैं। ये देख उर्मिला ने जोर जोर से रोना शुरू किया। शाहरुख ने इशारे से तीनों को कमरे के बाहर निकलने के लिए कहा और शाहरुख ने उर्मिला को गले लगा लिया। रोती हुई उर्मिला को वो भरोसा दिलाते हुए कहने लगा, "कुछ नहीं हुआ बेबी, तुम मेरे पास ही हो।" पर उर्मिला को सब समझ गया था की उसके साथ क्या हुआ हैं। वो बस वहा से चली जाना चाहती थी। उसे ये पूरा भरोसा हो गया था की और भी लोग कमरे मे हैं और अगर वो शोर मचाएगी तो शाहरुख कुछ भी कर सकता हैं। उसने शांति से अपने आप को सवारा और कुछ हुआ नहीं ऐसा बर्ताव करती हुई वहा से निकाल गई। 

जिस तरह से शाहरुख बगीचे मे की गई चुम्माचाटी की विडिओ बनाकर उर्मिला को ब्लैकमेल कर रहा था, उर्मिला को पूरा भरोसा हो गया था की आज जो कुछ उस होटल रूम मे हुआ उसकी भी रिकॉर्डिंग शाहरुख ने कर ली होगी। उर्मिला घर पर आई। उसे पछतावा था की वो एक गलत लड़के के चंगुल मे फस गई हैं। फिर उसने अपने फोन पर कुछ सर्च किया और उसे अनेक घटनाए मिली जहा शाहरुख जैसे लड़के लड़कियों को फसा कर उनसे कुछ भी करवा रहे थे। उर्मिला को ये समझ गया था की अब अगर उसने कोई कदम नहीं उठाया तो उसकी बहन और परिवार भी खतरे मे आ सकता हैं। 

उर्मिला ने शांति से सारी घटनाए एक नोटबुक मे लिखी। चार साल की सारी यादे लिखने के लिए उसे एक हफ्ता लग गया था। उधर शाहरुख उसे हर रोज बुलाता और उसके साथ मन मर्जी संबंध बनाता। उर्मिला ने नोटबुक को अच्छे से पैक कर जिला मैजिस्ट्रैट के पते पर भेज दिया। उसके नोटबुक पर आखरी पन्ने पर लिखा था, "जबतक आप ये पढ़ेंगे तब तक मैं मार चुकी रहूँगी।" और उस रात उर्मिला ने जहर कहा लिया और वो अगली सुबह उठी ही नहीं। घरवालों को लगा इग्ज़ैम प्रेशर मे उसने ये कदम उठाया हैं। 

इधर मामले मे छानबीन होने लगी तो मैजिस्ट्रैट साहब ने उर्मिला की नोटबुक को पोलिस के सामने रखा। बात न्यूज मे भी आने लगी थी। सब जगह उर्मिला के लिए जस्टिस की मांग होने लगी थी। पुलिस ने शाहरुख को हिरासत मे ले लिया था। और उन तीन आदमियों को भी हिरासत मे ले लिया था जिन्होंने उर्मिला के साथ कुकर्म किया था। 

इधर राहुल जिसका दिल इसके कारण टूटा था की उर्मिला ने उसके प्यार को ठुकरा दिया हैं उसे अब सच का पता लग चुका था। राहुल इस पूरे मामले मे अपने आप को दोष दे रहा था की काश एक बार वो उर्मिला के साथ बात करता। काश उर्मिला के साथ सेटिंग के चक्कर मे शाहरुख से दोस्ती न करता। काश समय रहते उर्मिला को अपने मन की बात पहले ही बता देता। पर उर्मिला तो चली गई थी पीछे केवल काश बचा था। 

फिर एक दिन उर्मिला की बहन राहुल से मिलने आती हैं और वो कहती हैं, "राहुल उर्मिला को तुम पसंद थे। पर जब तक उसे ये अहसास होता तब तक वो शाहरुख की चंगुल मे फस चुकी थी। उसने मुझे ये कभी नहीं बताया पर उसकी अलमारी के पीछे उसने तुम्हारे लिए ये खत छिपा कर रखा था। मुझे माफ कर देना की मैंने पढ़ लिया था।"

उर्मिला के खत मे लिखा था, "शायद ये खत तुम्हें कभी न मिलेगा। पर अगर तुम पढ़ रहे हो तो समझ जाना की मैं अब इस दुनिया मे नहीं हु। मैं जानती हु राहुल की तुम मेरे लिए सबसे अच्छे साथी साबित होते। पर मैं पूरी तरह से फस चुकी हु। मैं तुम्हें पसंद करती हु पर तुमसे बिनती करती हु की मुझे बुरा सपना समझ कर भूल जाना। जो कुछ हुआ उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं हैं।"

खत पढ़ने के बाद राहुल जोर जोर से रोने लगा और कहने लगा की काश एक बार उसने उर्मिला को पूछा होता की सच क्या हैं? वो दिन हैं और आज का दिन हैं, राहुल आज भी ऊपरवाले को कोसता हैं। शाहरुख बेल पर बाहर आया था और अपने साथियों की मदत से देश के बाहर भागने मे कामयाब हो गया था। लापता मुजरिम को पोलीस तलाश रही हैं पर ऐसे शातिर कुकर्मी पोलीस को कहा इतनी आसानी से मिलेंगे?

 




सुविचार

 

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कुछ लोग तुम्हारी राह में हमेशा पत्थर ही फेंकेगें,

अब ये तुम्हारे उपर निर्भर करता है कि तुम उन पत्थरों से क्या बनाते हो!!

मुश्किलों की दीवार या फिर कामयाबी का पुल।

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कागज के टुकड़े करना सरल है

कपडे के टुकड़े करना थोडा कठिन है

लोहे के टुकड़े करना काफी कठिन है

लेकिन

सबसे ज्यादा कठिन कुछ है तो वह है

हमारे अन्दर स्थित अहम के टुकड़े करना

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जब हम अकेले हों तब अपने विचारों को संभालें

और जब हम सबके बीच हों तब अपने शब्दों को संभालें

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अंधेरे मे जब हम दीया हाथ मे लेकर चलते है तो हमे यह भ्रम रहता है कि हम दीये को लेकर चल रहे है जबकि सच्चाई एकदम उल्टी है दीया हमे लेकर चल रहा होता है ।

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परिवार हो या संगठन

सब में सफलता का राज है

एक दूसरे के विचारों को,

सुनना और सम्मान देना

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पूरी जिंदगी हम इसी बात मे गुजार देते है की

चार लोग क्या कहेगे ओर अंत मे वो चार लोग

बस यही कहेगे की राम नाम सत्य है !

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आत्मा भी अंदर है परमात्मा भी अंदर है आत्मा से परमात्मा के मिलने का रास्ता भी अंदर ही है 

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एक बार सच्चे मन से ज़रूर कोशिश कर के देखे फिर आपको एहसास होगा कि परमात्मा हमारे अन्दर ही है बाहर कुछ भी नहीं है हम व्यारथ ही बाहर भटक रहे हैं ।

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सवेरे उठी काम काम काम….

कभी ना लिया शिव का नाम लिरिक्स कभी ना लिया शिव का नाम, सवेरे उठी काम काम काम, कभी ना लिया हरी नाम, सवेरे उठी काम काम काम..... हमरे द्वारे पे...